Watermelon Fruit: क्या आप जानते हैं तरबूज का इतिहास? सबसे पहले कहां पाया गया यह सुपरफ्रूट? पढ़ें यह खबर

Watermelon Fruit: इस बढ़ती हुई गर्मी के बीच अगर शरीर को ठंडा रखने की बात आती है तो उसमे तरबूज का नाम सबसे पहले आता हैं। लेकिन क्या अपने कभी सोचा है की तरबूज सबसे पहले कहां पाया गया था। इसका इतिहास क्या है? यदि आप भी नहीं जानते तो यह खबर में जान लीजिए।

Rishabh Namdev
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Watermelon Fruit: देशभर में भीषण गर्मी बढ़ने के बाद, लोग अपने खानें में भी विशेष बदलाव कर रहे हैं। दरअसल गर्मी के मौसम में शरीर को सुखद ठंडा रखने के लिए तरबूज का सेवन लोगों के लिए सुखद होता है। आप भी गर्मी के मौसम में तरबूज का सेवन करते ही होंगे। लेकिन क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि तरबूज का सबसे पहले उत्पादन कहां हुआ था? दरअसल कई लोगों को लगता है कि इसका जवाब भारत है, लेकिन यह गलत जवाब है।

जानें कहां से आया तरबूज?

दरअसल एक रिसर्च की माने तो, तरबूज की पहली उत्पत्ति मिस्र में हुई थी, न कि दक्षिण अफ्रीका में। वहीं प्रोसिडिगंस ऑफ द एकेडमी ऑफ साइंसेस के एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है कि तरबूज के गहरे अध्ययन से पता चला कि ये फल उत्तरपूर्वी अफ्रीका की जंगली फसलों से उत्पन्न हुए थे। हालांकि इस अध्ययन पूर्व में कहा गया था कि तरबूज दक्षिण अफ्रीकी सिट्रॉन मेलन की श्रेणी में हैं।

कैसे हुई इसकी पुष्टि?

हालांकि जेनेटिक रिसर्च के नतीजे इस तथ्य को समझा जा सकता हैं कि तरबूज 4 हजार साल पहले की एक पेंटिंग से जुड़ा है, जिसमें यह दिखाया गया है कि तरबूज नील नदी के रेगिस्तान में खाया जाता था। सुजैन एस. रेनर, एक इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट, ने इस अध्ययन के दौरान दिखाया कि मौजूदा लाल और मीठे तरबूज पश्चिम व उत्तर पूर्व अफ्रीका के जंगली तरबूज से संबंधित हैं।

क्या पीला तरबूज भी होता हैं?

दरअसल जब हम तरबूज के बारे में सोचते हैं, तो हमें सबसे पहले लाल रंग की तरबूज की तस्वीर मन में आती है। लेकिन अब बाजार में हमें लाल और पीला दोनों रंगों की तरबूज दिखाई देते हैं। दरअसल इसका कारण एक केमिकल है जिसके कारण तरबूज का रंग या तो लाल या पीला होता है। लायकोपीन नाम के इस केमिकल से लाल रंग के तरबूज में मिलता है, जबकि पीले तरबूज में यह केमिकल नहीं पाया जाता है। वहीं आपको बता दें कि पीले तरबूज का स्वाद थोड़ा शहद जैसा ही होता है और इसमें विटामिन ए और सी की काफी अच्छी मात्रा मिलती है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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