क्या हैं आपके होंठों के काले पड़ने के कारण? जानें सलाह

Lip Care: होंठों का काला पड़ना एक आम समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है। यह न केवल आपकी त्वचा की सुंदरता को प्रभावित करता है, बल्कि आपके आत्मविश्वास पर भी असर डाल सकता है।

भावना चौबे
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Lip Care

Lip Care: हर कोई नेचुरल खूबसूरत दिखना चाहता है, इसके लिए न सिर्फ चेहरे का ख्याल रखना पड़ता है, बल्कि होठों का भी ख्याल रखना पड़ता है। जब होंठ गुलाबी या लाल नजर आते हैं तो कॉन्फिडेंस बढ़ता है वहीं अगर होंठ काले पड़ जाते हैं तो कॉन्फिडेंस गिर जाता है।

होठों का रंग गहरा होना या पिगमेंटेशन की समस्या अब आम बात बन गई है, लेकिन इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे कि ऐसी कौन-कौन सी आपकी आदतें हैं जिनकी वजह से होठों का रंग काला पड़ जाता है, तो चलिए बिना देर करते हुए जान लेते हैं।

धूप

धूप में ज्यादा समय बिताने से होठों की नाजुक त्वचा पर यूवी किरणों का असर पड़ता है, जो मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ा सकता है। इससे होठों का रंग काला पड़ सकता है। इस समस्या से बचने के लिए सनस्क्रीन युक्त लिप बाम का उपयोग करना बहुत जरूरी है। यह लिप बाम होठों को यूवी किरणों से बचाता है और उनके रंग को प्राकृतिक बनाए रखता है।

पानी की कमी

शरीर में पानी की कमी होने से डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे होठों सुख सकते हैं और फटे नजर आ सकते हैं। इससे न केवल होठों का रंग गहरा होता है बल्कि उनकी नमी भी चली जाती है। इस समस्या से बचने के लिए मौसम चाहे कैसा भी क्यों ना हो कम से कम दिन में 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। अक्सर लोग ठंड के मौसम में पानी पीना कम कर देते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए।

कैफीन का सेवन

चाय, कॉफी या अन्य कैफीन वाली चीजों का अधिक सेवन होठों के पिगमेंटेशन का कारण बन सकता है। कैफीन में मौजूद टैनिन होटों की त्वचा को सुखाकर उनका रंग गहरा कर सकते हैं। यदि आप ज्यादा चाय या कॉफी पीते हैं तो इसकी मात्रा को नियंत्रित करना चाहिए। इसके बजाय आप हर्बल चाय या पानी का सेवन बढ़ा सकते हैं, जो आपके शरीर और होंठों दोनों के लिए फायदेमंद होता है।

हार्मोनल बदलाव

हार्मोनल बदलाव विशेष रूप से महिलाओं में होठों की त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं। गर्भावस्था, थायराइड समस्या या पीसीओएस जैसी समस्याओं के कारण होठों का रंग गहरा हो सकता है। इन बदलावों के कारण होठों में पिगमेंटेशन हो सकता है जो सामान्य से अधिक हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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