भारत में टूर और ट्रैवल्स की बात आती है, तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में शिमला की ठंडी वादियां, गोवा के समुद्री बीच, राजस्थान के किले और दिल्ली-आगरा जैसे ऐतिहासिक शहर घूमने का ख्याल आता है। अब ट्रेंड बदल रहा है। लोग सिर्फ घूमने-फिरने या मौज-मस्ती करने नहीं, बल्कि सुकून और प्रकृति से जुड़ने के लिए भी यात्रा करने लगे हैं।
इसी सोच ने एक नए कॉन्सेप्ट को जन्म दिया है, जिसे हम इको-टूरिज्म कहते हैं। यह केवल घूमने का तरीका नहीं, बल्कि पर्यावरण बचाने और स्थानीय संस्कृति को समझने का जरिया भी है।
इको-टूरिज्म
तेज रफ्तार जिंदगी और मेट्रो सिटीज का शोर-शराबा अक्सर लोगों को थका देता है। ऊपर से प्रदूषण, भीड़ और भागदौड़ ने मन की शांति छीन ली है। ऐसे में जब लोग छुट्टियां प्लान करते हैं, तो उनका मकसद सिर्फ नई जगह देखना नहीं, बल्कि मन और आत्मा को आराम देना भी होता है। इको-टूरिज्म यही मौका देता है।
इस दौरान आप जंगल, पहाड़, नदियां और गांवों की संस्कृति को करीब से महसूस करते हैं। यहां शॉपिंग मॉल और नाइट क्लब नहीं होते, बल्कि चिड़ियों की चहचहाहट, बहते झरनों की आवाज और मिट्टी की खुशबू होती है। इतना ही नहीं, इस तरह का पर्यटन गांव वालों और स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी को भी सहारा देता है।
वायनाड
अगर आप प्रकृति की गोद में कुछ वक्त बिताना चाहते हैं, तो केरल का वायनाड आपके लिए परफेक्ट जगह है। यहां की चाय और कॉफी की हरी-भरी बगानें, ऊंचे-ऊंचे पेड़ों से घिरे पहाड़ और साफ-सुथरा वातावरण हर किसी का दिल जीत लेता है। आप यहां के ट्राइबल विलेज घूम सकते हैं। स्थानीय भोजन का स्वाद ले सकते हैं और संस्कृति को करीब से समझ सकते हैं। वायनाड की खासियत यह है कि यहां हर मौसम में पर्यटक आते हैं।
कुर्ग
कुर्ग को अक्सर भारत का स्कॉटलैंड कहा जाता है। यहां की खूबसूरत वादियां, कॉफी प्लांटेशन और कोहरे से ढकी शामें हर किसी का मन मोह लेती हैं। यहां का शांत और सुकून भरे माहौल शहर की भागदौड़ भूल जाते हैं। साथ ही कावेरी नदी की धारा इस जगह की खूबसूरती को और बढ़ा देती है। अगर आप इको-टूरिज्म का असली मजा लेना चाहते हैं, तो यहां के होमस्टे में ठहरना बेस्ट ऑप्शन हो सकता है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां आप न सिर्फ टाइगर और अन्य वन्य जीव देख सकते हैं। यहां के प्रकृतिक नजारे दिल को छू लेते हैं। सुबह के समय जंगल में सफारी पर निकलना और पक्षियों की चहचहाहट सुनना मन को अलग ही शांति देता है।
क्यों बढ़ रहा है इको-टूरिज्म का ट्रेंड?
आजकल युवा हो या परिवार… सब इस ओर खिंचते चले आ रहे हैं। लोग चाहते हैं कि उनका पैसा सिर्फ मौज-मस्ती पर न लगे, बल्कि पर्यावरण और समाज को भी फायदा हो। जब आप गांव में रुकते हैं, लोकल गाइड लेते हैं, स्थानीय हस्तशिल्प खरीदते हैं.. तो सीधे-सीधे वहां के लोगों की जिंदगी में योगदान करते हैं। यही इको-टूरिज्म का असली मकसद है। जिसमें प्रकृति को बचाना और स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





