इस समय देश में भीषण गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी से बचने के लिए कूलर और एसी की तलाश शुरू हो जाती है, हालांकि कई लोग एसी की जगह कूलर पर ही भरोसा करते हैं। कूलर खरीदते समय लोग सबसे ज़्यादा बजट की चिंता करते हैं और किफायती तथा प्रभावी विकल्प तलाशते हैं। लेकिन कूलर खरीदते समय एक सवाल सभी के मन में आता है कि कूलर प्लास्टिक बॉडी वाला लेना चाहिए या फिर मेटल यानी लोहे का। अगर आप भी कूलर खरीदने की सोच रहे हैं और आपके मन में भी यही सवाल है, तो इस खबर में जानते हैं कि कौन-सा विकल्प बेहतर रहेगा।
दरअसल, इस खबर में आज हम आपको बताएंगे कि दोनों में क्या अंतर है और जरूरत के अनुसार कौन-सा कूलर खरीदना सही रहेगा। अक्सर कई लोग प्लास्टिक बॉडी पर इसलिए विश्वास करते हैं क्योंकि यह हल्का होता है और देखने में भी बेहद खूबसूरत लगता है।

यहां जानिए प्लास्टिक कूलर के फायदे
सबसे पहले हम प्लास्टिक कूलर की बात करते हैं। प्लास्टिक बॉडी से बने कूलर आजकल बेहद चलन में हैं क्योंकि ये स्टाइलिश दिखते हैं और शहरों में इन्हें खासा पसंद किया जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि इनका वजन बेहद कम होता है, जिससे इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान होता है। इनकी खासियत यह है कि इनमें जंग नहीं लगता और इनका रखरखाव भी आसान होता है। ज्यादातर लोग इन्हीं कारणों से प्लास्टिक बॉडी वाले कूलर को पसंद करते हैं। इनके कई फायदे हैं—मॉडर्न डिजाइन, हल्का वजन, जंग न लगना, कम आवाज़ और सफाई में भी आसानी।
यहां जानिए लोहे के कूलर के फायदे
वहीं, अगर लोहे के कूलर की बात की जाए तो इसमें सबसे बड़ा फायदा इसकी मजबूती का होता है। ग्रामीण इलाकों में अक्सर इन्हीं कूलरों को पसंद किया जाता है क्योंकि ये ठंडी हवा देने में ज्यादा कारगर होते हैं और इनकी फैन स्पीड भी प्लास्टिक बॉडी के मुकाबले ज्यादा होती है। मजबूत होने के कारण ये लंबे समय तक उपयोग किए जा सकते हैं और तेजी से ठंडक देते हैं। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। दरअसल, इनमें सबसे बड़ा नुकसान जंग लगने का होता है। लंबे समय तक इन्हें इस्तेमाल करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि इनमें जंग लग जाती है। इसके अलावा, प्लास्टिक बॉडी के मुकाबले ये बिजली भी ज्यादा खर्च करते हैं और वजन अधिक होने के कारण इन्हें इधर-उधर ले जाना आसान नहीं होता।
हालांकि, जरूरत के अनुसार आप कूलर का चुनाव कर सकते हैं। अक्सर शहरी इलाके के लोग प्लास्टिक बॉडी वाले कूलर चुनते हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में प्लास्टिक की जगह लोहे वाले कूलर पर भरोसा किया जाता है।