इन दिनों डिजिटल दुनिया में मोबाइल फोन होना सबके पास आम बात हो चुका है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर एक व्यक्ति के पास खुद का सेल फोन होता है। लोग इसके जरिए ऑफिस, स्कूल का काम करते हैं। कुछ लोग महंगे से महंगा फोन अपने पास रखते हैं, तो कुछ लोग ऐसे भी है जो काम चलाने के लिए कीपैड फोन रखते हैं। यह एक ऐसा माध्यम है, जो एक लोग से दूसरे लोग को कनेक्ट करता है। लोग घर बैठे दूसरे का हाल चाल जान लेते हैं। पहले यह काम डाक द्वारा किया जाता था लेकिन अब उसकी जगह मोबाइल फोन में ले ली है।
लोग मोबाइल के इस कदर आदि हो चुके हैं कि सुबह उठते ही सबसे पहले मोबाइल चलाते हैं और रात में सोने तक चलते ही रहते हैं। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इन सब से हटकर आज हम आपको उस व्यक्ति के बारे में बताएंगे, जिसने पहले मोबाइल कॉल की थी।

भारत की पहली मोबाइल कॉल
आज के जमाने में हर किसी के पास भले ही स्मार्टफोन हो, लेकिन एक जमाना ऐसा भी था, जब किसी के हाथ में मोबाइल फोन होना एक पहचान का परिचय होता था। भारत की बात करें तो यहां पहली बार जब मोबाइल आया था, तब कॉल की कॉस्ट 8.42 रुपए प्रति मिनट थी। आज भले ही देश में फ्री कॉलिंग का लाभ कंज्यूमर्स उठा रहे हों, लेकिन पहले ऐसा नहीं था।
इतिहास रचा
भारत में पहला मोबाइल फोन कॉल पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने किया था। 1995 में 31 जुलाई को उन्होंने नोकिया हैंडसेट का उपयोग करके तत्कालीन केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को कॉल किया था, जिसने एक इतिहास रचा और डिजिटल संचार का नया युग शुरू हुआ।
कॉल कास्ट
आज से लगभग 10 साल पहले तक भी कॉल कास्ट लगता था। हल्का चार्ज डायनामिक प्राइसिंग मॉडल पर निर्भर करता था, जिसकी लागत 8.4 रुपए प्रति मिनट थी, जो आज लगभग 23 रुपए के बराबर है। यह एक घंटा के दौरान दोगुना होकर 16.8 रुपए प्रति मिनट हो जाता था।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)