भारतीय रेलवे (Indian Railways) का इतिहास जितना ज्यादा पुराना है, उतना ही अधिक मजेदार भी है। यहां हर वर्ग के यात्री सफर करते हैं। यह बेहद आरामदायक और सस्ता सफल माना जाता है। पूरे विश्व में यह चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। देश भर के अलग-अलग हिस्सों के लिए लगभग 1300 से अधिक ट्रेन रोजाना संचालित की जाती है, जिसमें सभी के रूट अलग-अलग होते हैं। शहर, क्षेत्रफल और लोगों की सुविधाओं के अनुसार रेलवे स्टेशन और उनके स्टॉपेज तय किए जाते हैं। भारत में राजधानी, दुरंतो, वंदे भारत, शताब्दी, एक्सप्रेस, मेल, सुपरफास्ट, आदि चलाई जाती है।
अक्सर ट्रेन में सफर करते वक्त आपने यह देखा होगा कि रेलवे स्टेशन के नाम पीले रंग पर लिखे होते हैं जिसके पीछे मुख्य कारण होती है हालांकि इसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है।

दूर से आ जाता है नजर
दरअसल, पूरे देश में रेलवे स्टेशन के नाम पीले रंग पर ही लिखे जाते हैं, क्योंकि यह दूर से ही आकर्षित कर लेता है। ऐसे में लोको पायलट को यह दूर से ही दिख जाता है। दिन और रात में चमकदार पीला रंग काफी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जिससे लोको पायलट को उनके गंतव्य पर ठहरने का सिग्नल मिल जाता है। इसके अलावा पीले, रंग पर नाम लिखने के पीछे एक मुख्य वजह यह भी है कि यह रंग लोको पायलट को सतर्क रहने की चेतावनी देता है। यदि किसी प्लेटफार्म पर ट्रेन को नहीं रुकना है, तो वह प्लेटफार्म पर घुसने से लेकर निकलने तक हॉर्न बजाकर लोगों को सतर्क करता है। यही कारण है कि रेलवे स्टेशन पर नाम पीले बोर्ड पर ही लिखा जाता है।
आंखों को देता है सुकून
पीले बोर्ड पर केवल काले रंग से ही स्टेशन या दूसरे अक्षर लिखे जाते हैं, क्योंकि पीले रंग पर काले रंग का कंबीनेशन दूर से ही दिखाई देता है। इससे किसी तरह की कोई दुर्घटना ना हो इसलिए इस रंग का चुनाव किया गया है। यह रंग बहुत ही भड़कदार होता है। यह लोगों की नजर में दूर से ही आ जाता है। इसके अलावा, पीला रंग आंखों को सुकून देता है। इसलिए भारतीय रेलवे द्वारा बॉर्डर पर पीला रंग ही इस्तेमाल किया जाता है और इस पर लिखने वाले अक्षर को काले रंग से लिखा जाता है।