अधिकांश लोग गुस्से में क्यों करते है दरवाजा बंद, क्या सच में ये राहत देता है? समझें इसका साइंटिफिक कारण

Door Slamming Anger: गुस्से में दरवाजा जोर से बंद करने की आदत आमतौर पर देखी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका पीछे एक वैज्ञानिक कारण छुपा होता है? जब हम गुस्से में होते हैं, तो हमारे शरीर और मस्तिष्क में तनाव बढ़ जाता है और हम अपनी भावनाओं को बाहर निकालने का तरीका ढूंढते हैं।

भावना चौबे
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Door Slamming Anger

Door Slamming Anger: क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि गुस्से में आने पर लोग अक्सर दरवाजा जोर से बंद करते हैं या उसे लात मारते हैं? ऐसा क्यों होता है? क्या आपने कभी सोचा है कि गुस्सा निकालने के लिए दरवाजा ही क्यों चुना जाता है?

दरअसल इसके पीछे एक दिलचस्प वैज्ञानिक कारण है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गुस्से में दरवाजा बंद करने की आदत के पीछे क्या कारण हो सकते हैं और यह हमारे मानसिक स्थिति पर कैसे असर डालते हैं।

गुस्से में दरवाजा बंद करने का मनोवैज्ञानिक कारण

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार गुस्से में दरवाजा बंद करने की आदत को ‘डोरवे इफेक्ट’ कहा जाता है। जब हम गुस्से में होते हैं, तो हमारा मस्तिष्क तनाव से घिरा होता है और हमारी भावनाएं बहुत तेजी से बाहर आना चाहती है। ऐसे में हम किसी वस्तु या क्रिया के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहते हैं।

दरवाजा बंद करना इस स्थिति में एक स्वाभाविक प्रक्रिया बन जाती है, जो हमें अपने गुस्से को बाहर निकालने का एक तरीका प्रदान करती है। दरवाजा जोर से बंद करने से हमें मानसिक शांति मिलती है, जैसी हमने अपने अंदर की ऊर्जा को बाहर फेंक दिया हो।

गुस्से में दरवाजा बंद करने से तनाव कम कैसे होता है?

वैज्ञानिकों के अनुसार दरवाजा बंद करने से एक प्रकार का वेटिंग इफेक्ट उत्पन्न होता है। जब हम गुस्से में दरवाजा जोर से बंद करते हैं, तो उसे आवाज से हमारे दिमाग पर एक खास असर पड़ता है।

यह तेज आवाज हमारी मानसिक संतुलन को बहाल करने में मदद करती है और भावनाओं को शांत करने का काम करती है। इसे कुछ हद तक चिल्लाने के समान माना जा सकता है, क्योंकि यह हमारे भीतर के तनाव और गुस्से को बाहर निकालने का एक तरीका है। इस प्रक्रिया से हमें राहत मिलती है और गुस्सा धीरे-धीरे शांत होता है।

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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