Sweets and happiness : दुनियाभर में खुशी के मौके पर मीठा खाने की परंपरा रही है। यही कारण है कि हमारे यहां किसी भी शुभ अवसर पर मुंह मीठा कराने की परंपरा रही है। इसके साथ ये भी होता है कि अगर मन थोड़ा उचाट है, उदासी छाई है तो मीठा खाने पर बेहतर महसूस होता है। मीठा खाने से हमें खुशी महसूस होती है। लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है। इसके पीछे क्या कारण है।
दरअसल, मीठा खाने से खुशी महसूस होने का कारण वैज्ञानिक रूप से जुड़ा हुआ है। इसका हमारे मस्तिष्क की हार्मोनल प्रतिक्रियाओं से सीधा संबंध है। हम जब भी कुछ मीठा खाते हैं तो हमारे शरीर में कुछ प्रमुख न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होते हैं, जो हमारी मानसिक स्थिति को बेहतर बनाते हैं। यही वजह है कि मीठी चीज़ें हमारा मूड अच्छा करती हैं और हमें एनर्जी भी देती हैं।
शुभ अवसर पर मीठा खाने की परंपरा
अगर दुनिया के अलग अलग हिस्सों में कोई परंपरा है जो किसी तरह समान है तो उसके पीछे कुछ ठोस कारण होते हैं। यही वजह है दुनियाभर में खुशी के मौके पर मीठा खाने की परंपरा के पीछे भी। इसका एक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक आधार है। सांस्कृतिक रूप से, मिठाई को सकारात्मकता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। खुशी के पलों में इसे बांटना प्रेम और साझा खुशी का प्रतीक है। यही कारण है कि हमारे यहां अच्छे मौकों पर लड्डू, हलवा और अन्य मिठाई बनती है। वहीं, दुनिया के दूसरे हिस्सों में केक और चॉकलेट का चलन है। ये सभी मीठी वस्तुएं हैं जो न सिर्फ स्वादिष्ट होती हैं बल्कि मानसिक रूप से सुकून देने वाले प्रभाव भी डालते हैं। इसीलिए मीठे को वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दोनों कारणों से हमने अपनी खुशियों का हिस्सा बनाया है।
मीठे का मूड से क्या है संबंध
मीठे और मूड के संबंधों का वैज्ञानिक आधार भी है। मिठाई खाने से हमारे शरीर में कुछ बायोलॉजिकल प्रतिक्रियाएं होती हैं जो हमें खुशी का अहसास कराती हैं। जब हम मीठा खाते हैं, तो यह ब्रेन के “रिवॉर्ड सिस्टम” को सक्रिय करता है जिससे डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन रिलीज होते हैं। ये हार्मोन तनाव कम करके और खुशी को बढ़ाकर मूड को बेहतर बनाते हैं। इसे की साथ मीठी चीज़ें शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देती है। जब शुगर खून में घुलती है तो यह इंसुलिन के जरिए कोशिकाओं में पहुंचती है, जिससे शरीर में ऊर्जा का स्तर तेजी से बढ़ता है। यह प्रभाव हमें ताजगी और संतुष्टि का अनुभव कराता है।
मीठा खाने से हमारे शरीर में होती है ये प्रतिक्रया
जब हम मीठा खाते हैं तो हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर बढ़ता है। डोपामाइन जिसे “आनंद हार्मोन” भी कहा जाता है, हमारे मनोवैज्ञानिक रिवॉर्ड सिस्टम को सक्रिय करता है, जिससे हमें खुशी और संतोष का अहसास होता है। यही कारण है कि मीठा खाने से हमें अच्छा महसूस होता है क्योंकि यह हमारे दिमाग को सकारात्मक प्रतिक्रिया भेजता है। इसके अलावा सेरोटोनिन एक अन्य महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर है जो हमारे मूड को नियंत्रित करने में मदद करता है। मिठाई जैसे कार्बोहाइड्रेट सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, जो हमें शांत और संतुष्ट महसूस कराते हैं। सेरोटोनिन का उच्च स्तर अवसाद और चिंता कम करने में सहायक हो सकता है। एंडोर्फिन्स, जिन्हें “फील-गुड” हार्मोन कहा जाता है, दर्द को कम करने और खुशी का अनुभव कराने में मदद करते हैं। जब हम चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थ खाते हैं तो हमारा शरीर एंडोर्फिन्स रिलीज करता है, जिससे हमें आराम और खुशी का अहसास होता है। ऑक्सिटोसिन, जिसे “लव हार्मोन” भी कहा जाता है, हमें प्यार और भावनात्मक जुड़ाव का अहसास कराता है। हालांकि सीधे मीठा खाने से ऑक्सिटोसिन का रिलीज नहीं होता, लेकिन खुशी और अच्छा महसूस करने की स्थिति में हमारे शरीर में यह हार्मोन भी सक्रिय हो सकता है।
1. डोपामाइन और मिठाई का संबंध : डोपामिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो हमारे मस्तिष्क के “रिवॉर्ड सिस्टम” का हिस्सा है। जब हम मीठा या पसंदीदा खाना खाते हैं, तो डोपामाइन रिलीज होता है जिससे खुशी और संतोष का अनुभव होता है। यह हमारे शरीर के लिए एक सकारात्मक प्रतिक्रिया है जो हमें ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित करती है। यह जानकारी कई शोध में साबित हुई है।
2. सेरोटोनिन और मूड : सेरोटोनिन मूड को नियंत्रित करने में मदद करता है और शांत व संतुष्ट महसूस कराने में सहायक है। मिठाई जैसे कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ शरीर में ट्रिप्टोफैन के स्तर को बढ़ाते हैं, जो सेरोटोनिन के उत्पादन के लिए आवश्यक है। यह अवसाद और चिंता को कम करने में भी सहायक हो सकता है।
3. एंडोर्फिन्स और चॉकलेट : एंडोर्फिन्स, जिन्हें “फील-गुड” हार्मोन कहा जाता है, दर्द कम करने और खुशी बढ़ाने में मदद करते हैं। चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थ एंडोर्फिन्स रिलीज कर सकते हैं। डार्क चॉकलेट में पॉलीफेनॉल्स जैसे यौगिक तनाव को कम करने और मूड सुधारने में सहायक हो सकते है।
4. ऑक्सिटोसिन : ऑक्सिटोसिन को “लव हार्मोन” कहा जाता है। हालांकि सीधे मीठा खाने से यह हार्मोन रिलीज नहीं होता है, लेकिन खुशी, लगाव और सामाजिक संपर्क की सकारात्मक स्थिति इसे बढ़ावा दे सकती है।
कुल मिलाकर, मिठाई खाने से शरीर और मस्तिष्क में कई तरह की रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं जो हमारे मूड और मानसिक स्थिति को बेहतर बनाती हैं। हालांकि इसका संतुलित सेवन जरूरी है, क्योंकि अत्यधिक मीठा खाने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। अगर किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या हो तो मिठाई जैसे खाद्य पदार्थ लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं।)