क्या है सपने का रहस्य, जानिए सपनों से जुड़े रोचक मनोवैज्ञानिक तथ्य

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हम सभी सपने (Dreams) देखते हैं। कभी खुली आंखों से तो कभी बंद आंखों से। सपने हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। इनके बिना नींद का भी मुकम्मल वजूद नहीं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम सपने क्यों देखते हैं। आखिर हमें सपने क्यों आते हैं और इनके पीछे क्या रहस्य है।

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हमारे वेद पुराणों में भी स्वप्न के बारे में विस्तार से लिखा गया है। रामचरित मानस में सपनों पर विस्तृत चर्चा है वहीं शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है। सपने नींद में दिमाग में होने वाली क्रियाओं का परिणाम है। ये एक ऐसी अवस्था होती है जब हम न तो पूरी तरह सोए होते हैं न ही पूरी तरह जागृत। इन दोनों के बीच की तुरीयावस्था में हमें सपने आते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबक रात में हर व्यक्ति को दो तीन बार सपने आते हैं। हालांकि इसे लेकर भी सबके अलग अलग मत है क्योंकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें बहुत सपने आते हैं तो किसी का कहना है कि उन्हें बिल्कुल सपने नहीं दिखते। ये भी कहा जाता है कि व्यक्ति की जो मानसिक स्थिति होती है उसे उससे संबंधित सपने अधिक दिखते हैं। इसी तरह अपने प्रियजनों, हालिया घटी घटनाओं, अतीत और अगर मन में कोई डर है तो उससे जुड़े सपने भी दिखाई देते हैं।

सपने रात या दिन कभी भी आ सकते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक ये माना गया है कि एक सपना 5 से लेकर 20 मिनिट तक चलता है। हम 95 प्रतिशत सपने नींद खुलने के साथ ही भूल जाते हैं। करीब 5 से 10 प्रतिशत लोग महीने में एक बार डरावना सपना जरुर देखते हैं। कुछ सपने हमें बार बार आते हैं। कई लोगों का ये भी दावा है कि उन्होने सपने में जो देखा वो भविष्य में घटित हुआ, इस आधार पर कई बार ये भी माना जाता है कि कुछ सपने पूर्वाभास होते हैं। अधिक रचनात्मक लोगों को अधिक सपने आते हैं। ये भी माना जाता है कि सुबह का सपना लंबा होता है, इसी तरह कई लोग इस बात पर भी भरोसा करते हैं कि सुबह का सपना सच होता है। एक रोचक तथ्य ये है कि सपने में कुछ भी पढ़ना लगभग असंभव होता है। कई बार सपने में हम एकदम जड़ महसूस करते हैं, उस दौरान हम बोलना रोना या चीखना चाहते हैं लेकिन हमारा मन मस्तिष्क और शरीर एकदम स्थिर हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को हार्मोनल बदलाव के कारण अधिक सपने आते हैं। ये भी मान्यता है कि कई सपनों के कुछ संकेत होते हैं और उस आधार पर हम भविष्य को लेकर पूर्वानुमान लगा सकते हैं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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