हर किसी की यही ख़्वाहिश होती है, कि उसको अच्छा पार्टनर मिले, जिसके साथ वह अपने सुख दुःख बाँट सके। लेकिन जैसे जैसे ज़माना बदल रहा है वैसे-वैसे रिश्तों में भी काफ़ी बदलाव नज़र आ रहा है।
इस ज़माने में हर व्यक्ति का रिश्तों को लेकर मायना काफ़ी अलग हो गया है। आजकल लोग पहले एक दूसरे से मिलते हैं, बातें करते हैं, उसके बाद ही रिश्ते को आगे बढ़ाने का विचार करते हैं। काफ़ी समय तक डेट करने के बाद ही वे ये समझ पाते हैं कि, उन्हें इस रिश्ते में आना चाहिए या नहीं।
क्या है स्पीड डेटिंग? (Speed Dating)
जैसा कि आजकल देखा जाता है, रिलेशनशिप की दुनिया में रोज़ कोई न कोई नया नाम ट्रेंड करता रहता है। जैसे की आजकल कैजुअल डेटिंग, ऑनलाइन डेटिंग, सिचुएशनशिप जैसे ट्रेंड काफ़ी ज़्यादा फ़ेमस हो रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दिनों, रिलेशनशिप का एक नया टर्म काफ़ी ज़्यादा फ़ेमस हो रहा है, इस ट्रेंड को नाम दिया गया है स्पीड डेटिंग। अगर आपने अब तक यह नाम नहीं सुना है और अगर सुन भी लिया है, तो चलिए जानते हैं कि आख़िर ये होता क्या है।
90 के दशक से अब तक कितना बदला ये ट्रेंड?
स्पीड डेटिंग, भले ही अब ज़्यादा फ़ेमस हो रहा हो, लेकिन ये कोई नया नहीं है बल्कि यह 1990 से शुरू हो चुका है। स्पीड डेटिंग में ऐसा होता था, लड़का और लड़की किसी एक समारोह में शामिल होते थे, इस दौरान वे एक दूसरे से मुलाक़ात करते थे, कुछ मिनटों की बातें करते थे, और फिर यह फ़ैसला लेते थे कि किसे उन्हें जीवनसाथी के रूप में चुनना है। इससे ट्रेंड के चलते, फ़ैसला बहुत जल्दी लेना पड़ता था, इस ट्रेंड से यह फ़ायदा होता था, कि लोग अपना जीवनसाथी जल्दी से चुन लेते थे, हालाँकि अब यह ट्रेंड काफ़ी बदल चुका है।
चंद मिनटों में परफेक्ट पार्टनर की तलाश
अगर स्पीड डेटिंग के फायदों की बात की जाए, तो इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है, कि इस व्यस्त भरी ज़िंदगी में स्पीड डेटिंग के चलते, कुछ मिनटों तक बात करने से युवाओं को इस बात का अंदाज़ा लग जाता है कि सामने वाला व्यक्ति उनका पार्टनर बनने लायक है या नहीं, हालाँकि सिर्फ़ कुछ मिनटों की बात ही काफ़ी नहीं होती है, स्पीड डेटिंग के बाद भी बहुत लोग कन्फ्यूज रहते हैं।





