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Thu, Dec 18, 2025

शादी में मां क्यों नहीं देखती बेटे का फेरा, मुगल काल से चली आ रही परंपरा

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन को तरह-तरह के रीति-रिवाज निभाने होते हैं। पूरे विधि-विधान और रस्मों के साथ एक पुरुष और स्त्री दांपत्य जीवन के लिए एक-दूसरे का हाथ थामते हैं, जो 7 जन्मों के लिए एक-दूसरे के होने का वचन लेते हैं।
शादी में मां क्यों नहीं देखती बेटे का फेरा, मुगल काल से चली आ रही परंपरा

Wedding Rituals : शादी-ब्याह हिंदु धर्म में बहुत ही सौभाग्य की बात मानी जाती है। यह दो लोगों का पवित्र बंधन माना जाता है, जब दो परिवार के लोग भी उनकी खुशियों में शामिल होते हैं और तरह-तरह की रस्में निभाकर विवाह को संपन्न करवाते हैं। विवाह बंधन के साथ-साथ वंश बढ़ाने का जरिया भी होता है। इसे सात जन्मों का पवित्र रिश्ता माना जाता है, जब दो आत्माओं का मिलन होता है। इसलिए बहुत सारे रीति रिवाजों का पालन किया जाता है। हिंदू धर्म में शादी का बहुत बड़ा महत्व है। इसमें सभी समुदाय के लोग अलग-अलग रस्मों के साथ शादी को संपन्न करते हैं।

शादी में एक ऐसा रिवाज निभाया जाता है, जो काफी रहस्यमयी है। दरअसल, शादी में मां अपने ही बेटे के फेरे नहीं देखती है। क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं…

शादी का समारोह

शादी केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं होता, बल्कि यह 5 से 6 दिन तक चलने वाला बंधन होता है। जिनमें से कुछ रस्में ऐसी है, जो दुनिया भर की शादियों से इसे अलग बनाती है। शादी का समारोह ऐसा होता है कि पूरे खानदान के लोग एकजूट होते हैं। इसलिए अच्छा लगता है।

मां क्यों नहीं देखती बेटे का फेरा

जी हां! शादी के इस खास पल को मां अपने बेटे के साथ कभी नहीं देखी। दरअसल, यह परंपरा मुगल काल से चली आ रही है। हालांकि, इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन उस समय कोई भी महिला अपने बेटे के बारात में नहीं जाती थी और ना ही उनकी शादी देखी थी। इसके पीछे कोई खास वजह नहीं है, लेकिन चोर-डकैत शादी ब्याह के दौरान सुन घर को देखकर इसे अपना निशाना बनाते हैं। इसीलिए महिलाएं अपनी बेटी की शादी में नहीं जाती और रात भर जाकर तरह-तरह की लीलाएं महिलाओं द्वारा की जाती है। इससे शादी की एक रस्म भी मानी जाती है और घर की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो जाती है।

महत्व

हालांकि, अब मॉडर्न जमाने में मां अपने बेटे के शादी में चली जाती है। कुछ शादियां तो डेस्टिनेशन होती है, जिनमें लड़का और लड़की दोनों परिवार एकजुट होकर शादी कर करवाते हैं। ऐसे में मां अपनी बेटी की शादी में मौजूद रहती है, लेकिन अब भी बड़े बुजुर्गों द्वारा उन्हें बेटे की शादी और फेयर देखने से मना कर दिया जाता है। शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन को तरह-तरह के रीति-रिवाज निभाने होते हैं। पूरे विधि-विधान और रस्मों के साथ एक पुरुष और स्त्री दांपत्य जीवन के लिए एक-दूसरे का हाथ थामते हैं, जो 7 जन्मों के लिए एक-दूसरे के होने का वचन लेते हैं। हिंदू धर्म में हर व्यक्ति के जीवन में 16 संस्कार होते हैं, जिनमें से एक विवाह भी शामिल है। इस दौरान सभी देवी-देवताओं का विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विधिपूर्वक दुल्हन को विदा करके ससुराल ले जाया जाता है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)