अब महिलाएं रिश्तों की सलाह दोस्तों से नहीं, AI से क्यों ले रही हैं? जानिए पूरा सच

आजकल महिलाएं रिश्तों की समस्याओं में दोस्तों के बजाय AI पर भरोसा क्यों कर रही हैं? रिश्तों में सलाह लेने का ये नया तरीका तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। जानिए क्यों बढ़ रहा है AI का चलन और क्या है इसके फायदे-नुकसान।

रिश्तों की सलाह लेने का तरीका अब बदल रहा है। पहले जहां महिलाएं अपने करीबी दोस्तों या रिश्तेदारों (Relationship) से दिल की बात शेयर करती थीं, अब वहीं एक नया ट्रेंड उभर रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रिश्तों की सलाह लेना। जी हां, कई महिलाएं अब ChatGPT जैसे AI टूल्स का इस्तेमाल कर रही हैं, ताकि उन्हें बिना किसी जजमेंट या शर्मिंदगी के अपने सवालों के सीधे और संतुलित जवाब मिल सकें।

आजकल की तेज़ रफ्तार जिंदगी में कई बार लोगों के पास दूसरों की बातें सुनने या सही सलाह देने का वक्त नहीं होता। ऐसे में AI एक 24×7 उपलब्ध, शांत और डेटा-बेस्ड “सलाहकार” बन गया है, जो न केवल हर बात ध्यान से सुनता है बल्कि किसी भी स्थिति में तटस्थ और प्रैक्टिकल राय भी देता है। अब सवाल ये है कि क्या वाकई AI इंसानी सलाह से बेहतर हो सकता है? आइए इस ट्रेंड को गहराई से समझते हैं।

महिलाएं रिश्तों में AI से सलाह क्यों ले रही हैं?

आज के जमाने में जब रिश्तों की जटिलताएं बढ़ रही हैं, तो महिलाएं अक्सर सलाह लेने के लिए AI जैसे चैटबॉट्स और ऐप्स का सहारा ले रही हैं। इसका एक बड़ा कारण है कि AI बिना किसी भेदभाव या पक्षपात के सलाह देता है। अक्सर दोस्त या परिवार के लोग हमारी समस्याओं को समझने या सही प्रतिक्रिया देने में पक्षपात कर देते हैं। वहीं, AI पूरी तरह से तटस्थ होता है, जिससे महिलाएं ज्यादा खुलकर अपनी समस्याएं शेयर कर पाती हैं।

इसके अलावा, AI से सलाह लेने में गोपनीयता भी बनी रहती है। महिलाओं को अपने रिश्तों के मसलों को लेकर कभी-कभी शर्म या डर लगता है कि कोई बात बाहर न निकल जाए। AI के साथ बातचीत पूरी तरह निजी रहती है, इसलिए वे ज्यादा सहज महसूस करती हैं।

AI आधारित रिलेशनशिप सलाह

AI पर भरोसा करने की वजहों में सबसे बड़ा फायदा है कि ये 24/7 उपलब्ध रहता है। जब भी जरूरत हो, बिना किसी झिझक के सलाह ली जा सकती है। इसके अलावा, AI के पास मनोवैज्ञानिक और काउंसलिंग के कई मॉडल होते हैं, जो पूरी रिसर्च पर आधारित सलाह देते हैं। इससे महिलाएं अपनी समस्या को बेहतर तरीके से समझ पाती हैं और सही कदम उठा पाती हैं।

लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पूरी तरह AI पर निर्भर रहना सही नहीं है। इंसानी भावनाओं और रिश्तों की जटिलताओं को पूरी तरह समझना अभी AI के लिए चुनौती है। इसके साथ ही, कभी-कभी गलत या अधूरी सलाह भी मिल सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि AI की सलाह को एक मार्गदर्शक के तौर पर लें और जरूरी हो तो प्रोफेशनल काउंसलर की मदद भी लें।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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