सिर्फ घर-गृहस्थी नहीं, लोन चुकाने से लेकर कंपनी चलाने तक, अब महिलाएं हर फील्ड में बना रही हैं नया रिकॉर्ड

आज की महिलाएं सिर्फ घर संभालने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हर क्षेत्र में पुरुषों को पीछे छोड़ रही हैं। चाहे वह लोन चुकाने का जिम्मा हो, बिजनेस चलाने की जिम्मेदारी हो, या फिर निवेश के मामले में सही फैसले लेना हो, महिलाएं हर मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

Bhawna Choubey
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Women’s Day Special: जब कभी भी महिला और पुरुष के काम और ज़िम्मेदारी की बात की जाती है तो महिलाओं के लिए घर के काम और पुरुषों के लिए बाहर के काम और ज़िम्मेदारी का ख्याल ही सभी के मन में आता है। सदियों से ऐसा चला आ रहा है कि महिलाएँ घर गृहस्थी संभालती है और पुरुष बाहर के काम देखते हैं। लेकिन क्या आज भी ऐसा ही होता है? इसका जवाब है नहीं, पिछले कुछ सालों में भारतीय महिलाओं में काफ़ी कुछ सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है।

पहले के ज़माने में ऐसा हुआ करता था कि महिलाएँ सिर्फ़ घर गृहस्थी संभालती है और पुरुष कमाने से लेकर अन्य बाहर के काम संभालते हैं, लेकिन अब ज़माना बदल गया है और यह मानसिकता भी बदल चुकी है। अब देखा जाता है कि महिलाएँ न सिर्फ़ घर संभालती है बल्कि फ़ाइनेंशियली भी घर परिवार को मदद करती है, कुछ क्षेत्र तो ऐसे भी हैं जहाँ पुरुषों से कई गुना आगे महिलाएँ निकल चुकी है। जैसे इंटरप्रेन्योरशिप, कॉरपोरेट सेक्टर, बैंकिंग, स्पोर्ट्स और इतना ही नहीं पॉलिटिक्स में भी महिलाएँ पुरुषों से कई ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन करती नज़र आती है।

लोन लेने में पुरुषों से आगे महिलाएं

ये बातें हम आपको यूँ ही नहीं बता रहे हैं, बल्कि इस बात का ख़ुलासा नीति आयोग की एक रिपोर्ट में हुआ है। जिसमें यह पता चला है कि भारत में लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या पिछले पाँच वर्षों में 22% सालाना दर से बढ़ी है। फ्रॉ बोरोवर्स टू बिल्डर्स रिपोर्ट में यह भी बताया गया है, कि 22% महिलाओं ने पर्सनल लोन लिया, वहीं 3% ने बिज़नस लोन लिया, जबकि अन्य 38% नहीं गोल्ड गिरवी रखकर लोन लिया है।

आर्थिक रूप से सशक्त हो रही महिलाएं

सबसे ज़्यादा ख़ास बात यह रही है कि महिलाएँ अब क्रेडिट स्कोर को लेकर भी काफ़ी जागरूक हो चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार यह पता चला है कि 60 प्रतिशत महिलाएँ कस्बों और ग्रामीण इलाकों से हैं। इस रिपोर्ट से यह साफ़ साफ़ समझ आ रहा है कि अब महिलाएँ सिर्फ़ घर गृहस्थी संभालने तक नहीं रही है, बल्कि आर्थिक रूप से भी सशक्त हो रही है।

लोन चुकाने में भी आगे महिलाएं

साल 2023 में भारत में कुल लोन में 17% की बढ़ोतरी हुई है, जिसमें महिलाओं ने पुरुषो को पीछे छोड़ दिया है। ख़ास बात यह रही कि महिलाएँ लोन चुकाने में ज़्यादा भरोसेमंद साबित हुई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ ऐसा पता चला है कि सिर्फ़ 3.4% महिलाएँ एंटरप्रेन्योर लोन डिफॉल्टर रही, जबकि पुरुषों की डिफॉल्ट दर 4.6% से अधिक रही।

सेहत की सुरक्षा में भी आगे महिलाएं

इसके अलावा पॉलिसी बाज़ार के सर्वे के अनुसार, 2013-2024 में 25 लाख रुपये से अधिक कवरेज वाली हेल्थ पॉलिसी ख़रीदने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। अब यह आंकड़ा बढ़कर 24 फ़ीसदी हो गया है, पिछले साल यह 15 फ़ीसदी था। इसमें सर्वे के मुताबिक़ यह पता चलता है कि महिलाएँ सिर्फ़ आगे बढ़ने में विश्वास नहीं रख रही है, बल्कि परिवार के स्वास्थ्य को लेकर भी जागरूक हो रही है।

स्टार्टअप वर्ल्ड में तेजी से बढ़ रही हैं महिलाएं

उद्यमी क्षेत्र में भी महिलाएँ काफ़ी आगे पहुँच गई है। दिल्ली NCR महिला उद्यमियों के लिए स्टार्टअप का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। आपको बता दें अब तक यहाँ क़रीब 2000 महिला को स्टार्टअप के लिए निवेशकों से फंडिंग मिल चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार टेक्नोलॉजी से जुड़े क्षेत्रों में महिलाओं के स्टार्टअप्स की हिस्सेदारी 18% से ज़्यादा है, जबकि फंडिंग पाने वाली स्टार्टअप्स में महिलाओं की भागीदारी 14% से अधिक है। ऐसे में देखा जाए तो पूरे भारत में महिलाओं द्वारा शुरू किए गए स्टार्टअप्स की संख्या 8 हज़ार से भी ज़्यादा हो गयी है।

निवेश के लिए घर खरीद रहीं महिलाएं

एनारॉक के सर्वे के मुताबिक़, जुलाई दिसंबर 2023 के बीच 78% भारतीय महिलाएँ घर ख़रीदने का मुख्य कारण रहने की ज़रूरत बताती है, जबकि सिर्फ़ 22% महिलाएँ से निवेश के तौर पर देखती है। लेकिन साल 2021 के सर्वे में ये आंकड़ा 74% प्रतिशत और 26 % था। यानी अब देखा जाए तो महिलाएँ घर रहने के लिए कम ख़रीद रही हैं बल्कि निवेश के लिए इसे ज़्यादा ज़रूरी मान रही है। इतना ही नहीं अब धीरे धीरे महिलाएँ रियल एस्टेट में निवेश करने में भी दिलचस्पी दिखा रही है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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