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Mon, Dec 15, 2025

World Braille Day 2022 : दृष्टिहीनों के जीवन में रोशनी है ब्रेल लिपि, जानिए कैसे हुआ इसका अविष्कार

Written by:Shruty Kushwaha
World Braille Day 2022 : दृष्टिहीनों के जीवन में रोशनी है ब्रेल लिपि, जानिए कैसे हुआ इसका अविष्कार

World Braille Day : आज विश्व ब्रेल दिवस है। ब्रेल लिपि के जनक लुईस ब्रेल (louis braille) के जन्मदिन पर विश्वभर में ये दिन मनाया जाता है। ब्रेल उभरे हुए बिंदुओं (Dots) से रची गई भाषा है, जिन्हें नेत्रहीन लोग स्पर्श के द्वारा पढ़ सकते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक इस समय दुनियाभर में 3.6 करोड़ से ज्यादा लोग दृष्टिहीन हैं और इनमें से अधिकांश के लिए पढ़ने लिखने की भाषा ब्रेल लिपि है। ये एक ऐसी भाषा है जिसने नेत्रहीनों के जीवन में शिक्षा को सरल किया है और इसे दुनियाभर में मान्यता प्राप्त है।

लुई्स ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस में हुआ था। 8 वर्ष की उम्र में एक हादसे में उनकी आंखों की रोशनी चली गई। 10 साल की उम्र में उन्हें पढ़ने के लिए  नेत्रहीनों के स्कूल रायल इन्स्टीट्यूट फार ब्लाइन्डस में दाखिला मिला। वहीं उन्हें एक ऐसी कूटलिपि के बारे में जानकारी मिली जिसे अंधेरे में भी पढ़ा जा सकता था। इसका इजाद शाही सेना के सेवानिवृत कैप्टेन चार्लस बार्बर ने किया था। इसी बात से उनके दिमाग में विचार आया कि क्यों न एक ऐसी भाषा बनाई जाए, जिसे नेत्रहीन भी पढ़ सकें। यहीं से ब्रेल लिपि की नींव पड़ी। लुईस ने उनसे मिलने की इच्छा जताई और मुलाकात होने पर उन्होने चार्लस से उनकी कूटलिपि में कुछ संशोधन के प्रस्ताव रखे। इसके बाद 8 साल तक अथक मेहनत से उन्होने इस लिपि में संशोधन किए और 1829 में आखिरकार वो एक ऐसी लिपि बनाने में सफल हुए, जिन्हें नेत्रहीन भी पढ़ सकते थे। हालांकि उनके जीवनकाल में उनकी बनाई भाषा को मान्यता नहीं मिली। 1852 में 43 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

उनके मरणोपरांत इस लिपि को लोकप्रियता मिली और फिर सरकार ने भी इसे मान्यता देने पर विचार किया। लुईस की मौत के 100 साल बाद फ्रांस में 20 जून 1952 को उनके सम्मान का दिवस निर्धारित किया गया। ब्रेल लिपी छह बिन्दुओं पर आधारित है। छह डॉट के माध्यम से अक्षर, नंबर, म्यूजिक सिंबल, गणित सहित अन्य सभी विषय लिखे जाते हैं। इसमें स्पर्श के द्वारा अक्षरों और संख्याओं को पढ़ा जाता है। दृष्टिबाधित लोगों के लिए ये शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही उनकी अभिव्यक्ति का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। भारत में भी 4 जनवरी 2009 को लुईस ब्रेल के सम्मान में भारत सरकार ने डाक टिकिट जारी किया था।