दुनिया का सबसे खतरनाक गाना! जिसने ली थी 100 से ज़्यादा की जान, 62 साल तक रहा बैन

एक ऐसा गाना जिसे सुनने के बाद लोग अपनी जान देने लगे। 'Gloomy Sunday' नाम के इस गाने को दुनिया का सबसे खतरनाक और मनहूस गाना कहा जाता है। बताया जाता है कि इसे सुनने के बाद 100 से ज़्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। जानिए आखिर क्या है इस गाने की कहानी और क्यों इस पर 62 साल तक बैन लगा रहा।

दुनिया में कई गाने आए और गए, लेकिन 1933 में बना Gloomy Sunday एक ऐसा गाना था जिसने लोगों की जान ले ली। ऐसा कहा जाता है कि इस गाने की धुन बहुत उदास करने वाले थी इसे सुनने के बाद कई लोगों ने अपनी ज़िंदगी ख़त्म कर ली। इस वजह से गाने को कई देशों में बैन कर दिया गया था।

Gloomy Sunday नाम का यह गाना हंगरी के संगीतकार रेज़ो सेरेस ने 1933 में बनाया था। यह गाना एक दुखी प्रेम कहानी पर आधारित था, जिसमें एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को खोने के बाद टूट जाता है। उसकी याद में वह अपनी जान देने का फ़ैसला करता है। गाने की मेलोडी इतनी उदास और गहराई से भरी थी कि जिसने भी इसे सुना वो डिप्रेशन में चला गया।

सरकार को लगाना पड़ा बैन

बताया जाता है कि इस गाने के रिलीज़ होते ही हंगरी में आत्महत्या की घटनाएँ बढ़ गई। स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कुछ लोग इस गाने को सुनते सुनते खिड़की से कूद गए तो कुछ ने ज़हर खा लिया। हालात इतने बिगड़ गई कि सरकार को मजबूरी में इस गाने पर बैन लगाना पड़ा।

क्यों कहा जाता है इसे दुनिया का सबसे मनहूस गाना?

इस गाने को द सुसाइड सॉंग यानी खुदकुशी वाला गाना कहा जाने लगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, क़रीब 100 से ज़्यादा लोग इस गाने को सुनने के बाद खुदकुशी कर चुके थे। यहाँ तक कि इस गाने के लेखक रेज़ सेरेस ने भी बाद में खुदकुशी कर ली थी।

सालों तक इस गाने की चर्चा होती रही। कई रेडियो स्टेशनों ने भी इसे बजाना बंद कर दिया था। कुछ जगहों पर तो यह अफ़वाह भी फैल गई कि अगर कोई रात में अकेले इस गाने को सुनेगा तो उसकी जान चली जाएगी। हालाँकि, वैज्ञानिक तौर पर कोई ठोस सबूत नहीं मिला लेकिन गाने का असर इतना गहरा था कि इसे दुनिया भर में ख़तरनाक माना जाने लगा।

कब और क्यों हटा इस गाने का बैन?

इस गाने पर कई दशकों तक बैन लगा रहा। ख़ासकर ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में से रेडियो और पब्लिक लिस्ट से हटा दिया गया था। 62 साल बाद यानी 1995 में इस गाने से बैन हटाया गया। तब तक लोग इसे एक डरावनी यादें और किस्से की तरह देख रहे थे। 90 दशक में कुछ म्यूज़िक लवर्स और फिल्ममेकर्स ने इसे फिर से सुनना शुरू किया। हालाँकि, आज इस गाने को लेकर डर और किस्से बने हुए हैं। कई म्यूज़िक स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म पर भी इसके बारे में वॉर्निंग दी जाती है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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