भारत में मुगल शासकों का दबदबा एक समय काफी ज्यादा रहा है। उस दौरान भारत को एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक इमारतें किले आदि मिले हैं, जो आज देश की धरोहर के रूप में जाने जाते हैं। लगभग पूरे देश में इनका शासन था, जिसपर यह अपनी हुकूमत चलाते थे। आज हम आपको उनके जमाने की एक ऐसी शहजादी के बारे में बता रहे हैं, जिसके पास कुबेर का खजाना था। धन दौलत की कोई कमी नहीं थी। इसके बावजूद वह कुंवारी ही रह गई थी।
दरअसल, इस शहजादी का नाम जहां आरा था, जो दुनिया की सबसे अमीर शहजादी थी। उसके पास बेशुमार धन-दौलत थी। सोने-चांदी के जेवरात की कोई कमी नहीं थी।

बादशाह की लाडली
जहां आरा के पिता शाहजहां ने 14 साल की उम्र में से ही 6 लाख का सालाना वाफिजा शुरू किया था। मुमताज बेगम की मौत के बाद उनकी बेटी के पास हरम और महल की सारी जिम्मेदारी आ गई थी। जिस कारण बादशाह ने उन्हें पादशाह बेगम की उपाधि दे दी और उनका वजीफा यानी वेतन तय कर दिया। जिसके अनुसार उसे 6 लाख से बढ़कर 10 लाख रुपए मिलने लगे। इस तरह शहजादी अपने समय में दुनिया की सबसे अमीर शहजादी बन गई।
दुनिया की सबसे अमीर शहजादी
अमीर होने के बावजूद वह बहुत ही शांत स्वभाव की थी। सादगी और परदे में रहना उन्हें पसंद था। हालांकि, मार्केटिंग का भी उन्हें काफी अधिक शौक था। जिस कारण शाहजहां ने दिल्ली में चांदनी चौक का मार्केट ही बता दिया, जो आज दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसके अलावा, शाहजहां अपनी बेटी से बेहद प्यार करते थे। इसलिए अपनी ताजपोसी के साथ उन्हें एक लाख रुपये अशर्फियां और ₹400000 दिए थे।