दुनिया का सबसे छोटा युद्ध, चंद मिनटों में घायल हुए थे 500 से अधिक सेना! एक चेतावनी ने बदल दिया इतिहास

प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध तकरीबन 4 से 6 साल तक चले थे, लेकिन आज हम उसे युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मात्र 38 मिनट में ही खत्म हो गया था।

भारत के पहलगांव में आतंकी हमले के बाद युद्ध की चर्चाएं जोरों पर है। लगातार ऐसी क्यास लगाई जा रही थी कि बहुत जल्द भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो सकता है। इसी बीच ऑपरेशन सिंदूर ने लोगों के भ्रम को मिटा दिया है। वहीं, इस स्ट्राइक के बाद देश में सभी हाई अलर्ट स्थानों पर सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है। लगातार हाई लेवल कमेटियों की बैठकें हो रही हैं। हालांकि, आज हम आपको इतिहास में उस युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं, जो विश्व का सबसे छोटा युद्ध कहलाया।

युद्ध होने से लोगों के साथ-साथ देश की आर्थिक व्यवस्था भी कमजोर हो जाती है। इसके अलावा, युद्ध के कई सारे नुकसान भी होते हैं, लेकिन आज हम आपको दुनिया का सबसे छोटा युद्ध के बारे में बताएंगे, जो महज कुछ मिनटों में ही खत्म हो गया था।

दुनिया का सबसे छोटा युद्ध

इतिहास के पन्ने को पलट कर देखा जाए, तो दुनिया में ऐसे बहुत सारे युद्ध हुए हैं, जो सालों साल चलते आए हैं। जिससे भयंकर तबाही हुई है। यह युद्ध अपनी रणनीति के लिए जाने जाते हैं। प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध तकरीबन 4 से 6 साल तक चले थे, लेकिन आज हम उसे युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मात्र 38 मिनट में ही खत्म हो गया था। यह सुनकर आपको आश्चर्य जरुर हो रहा होगा, लेकिन यह बिल्कुल सच है।

ब्रिटेन और जांजीबार के बीच हुआ युद्ध

दरअसल, यह युद्ध ब्रिटेन और जांजीबार (अब तंजानिया का हिस्सा) के बीच लड़ा गया था। उस दिन 27 अगस्त था। साल 1896 में यह युद्ध राजनीतिक विवाद को लेकर हुआ था। युद्ध शुरू होते ही खालिद की सेना ने सिर्फ 38 मिनट में ही हार मान ली। हालांकि, फिर भी इस युद्ध में करीब 500 से अधिक लोग घायल हुए थे। युद्ध कम समय तक चलने के बाद भी इससे देश की आर्थिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचा था।

ऐसे हुआ तख्तापलट

बता दें कि साल 1983 में ब्रिटिश ने जांजीबार की देखरेख के लिए सैयद हमद बिन थुवैनी को नियुक्त किया था, जो शांतिपूर्ण तरीके से शासन को चला रहे थे, लेकिन 25 अगस्त को उनका निधन हो गया। इसके बाद उनके भतीजे खालिद बिन बर्गश ने खुद को जांजीबार का सुल्तान घोषित कर दिया। हालांकि, तब भी इस सल्तनत पर ब्रिटेन का ही अधिकार था और यह बात ब्रिटेन को रास नहीं आई। तब ब्रिटेन ने खालिद को सुल्तान के पद से हटाने का आदेश दिया। दरअसल, ब्रिटेन यह चाहता था कि उनके उत्तराधिकारी के रूप में हमद के चचेरे भाई हमुद बिन मोहम्मद को सल्तनत सौंपी जाए।

खालिद को चेतावनी

चेतावनी के बाद भी बर्गस ने आदेश को अनसुना कर दिया और अपने महल के चारों ओर करीब 3,000 से अधिक सैनिक तैनात कर दिए। जैसे ही इस बात की जानकारी ब्रिटेन को लगी, तो उसने खालिद को चेतावनी दी, लेकिन तब भी खालिद ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उसके बाद, 27 अगस्त को ब्रिटिश ने जांजीबार पर हमला कर दिया। जिससे घबराकर सेना सहित बर्गस ने हार मान ली और तब से यह विश्व का सबसे छोटा युद्ध बन गया।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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