क्या आप जानते हैं! हम सिर्फ 5 प्रतिशत निर्णय सोच समझकर लेते हैं, दिमाग हिला देंगे ये 8 मनोवैज्ञानिक तथ्य

आपको जानकर ताज्जुब होगा कि खुशी का पहला आँसू आमतौर पर दाहिनी आँख से और दुख का पहला आँसू बाईं आँख से गिरता है। वहीं, नई आदतें बनाने में किसी को भी औसतन 21 दिन लगते हैं। अगर आपके बहुत सारे दोस्त हैं या बड़ा ग्रुप है तो ये जानकारी काम की हो सकती है। ध्यान रखिएगा कि लोग अक्सर समूह के दबाव में अपनी राय बदल देते हैं, जिसे "समूह प्रभाव" कहा जाता है।

Psychological Facts

Mind-Blowing Psychological Facts : हमारा दिमाग किसी सुपर कम्यूटर से कम नहीं। इसी बात से समझा जा सकता है कि एक वयस्क व्यक्ति दिनभर में लगभग 35,000 निर्णय लेता है। इनमें क्या खाना है, क्या पहनना है जैसी छोटी बातों से लेकर तमाम बड़े फैसले भी शामिल होते हैं। हमारा जीवन ऐसे ही रोमांच भरे तथ्यों का पिटारा है जिनमें से कई फैक्ट्स के बारे में हमें अक्सर पता भी नहीं होता।

मनोवैज्ञानिक तथ्य वो जानकारी होते हैं जो मानव मस्तिष्क, व्यवहार, सोच, भावना और सामाजिक अंतरक्रियाओं से संबंधित होते हैं। ये तथ्य कई रिसर्च, अध्ययन के बाद प्राप्त किए जाते हैं। इन शोध और स्टडीज़ का उद्देश्य मानव मन और उसके विभिन्न पहलुओं को समझना और विश्लेषण करना होता है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में बहुत से ऐसे तथ्यों की पहचान की जाती है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन और मानसिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं।

हैरतअंगेज-रोचक मनोवैज्ञानिक तथ्य

मनोवैज्ञानिक तथ्य मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार, भावनाओं और शारीरिक प्रतिक्रियाओं से संबंधित होते हैं और इनका अध्ययन वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से किया जाता है। यह तथ्य हमारे समझने के तरीके को बदल सकते हैं और हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। आज हम आपके लिए ऐसे ही कुछ रोचक और हैरान करने वाले तथ्य लेकर आए हैं।

  1. आपकी यादें गलत भी हो सकती हैं :  आपकी यादें कभी-कभी गलत भी होती हैं और ऐसे में आप जिन घटनाओं को “याद” करते हैं, वे दरअसल वास्तविक नहीं होतीं। मनोवैज्ञानिकों ने शोध में ये पाया है कि यादें समय के साथ बदल सकती हैं, और कभी-कभी हम गलत घटनाओं को अपनी यादों में जोड़ लेते हैं। यह “मेमोरी रिकन्स्ट्रक्शन” प्रक्रिया के कारण होता है, जिसमें आप अपने अनुभवों को अपने वर्तमान मानसिक स्थिति के अनुसार बदल लेते हैं।
  2. स्मृति को प्रभावित करने के लिए बाहरी जानकारी (Misinformation Effect) : यह तथ्य दर्शाता है कि बाहरी जानकारी, जैसे मीडिया रिपोर्ट्स या किसी दूसरे व्यक्ति का बयान आपकी व्यक्तिगत यादों को बदल सकता है। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में पाया गया कि जब लोगों से एक दुर्घटना के बारे में पूछते हुए “क्या आपने दुर्घटना में कार के शीशे को देखा?” तो उन्होंने गलत तरीके से याद किया कि एक शीशा था, जबकि असल में वह नहीं था।
  3. आपका मस्तिष्क शरीर के बारे में महसूस करता है : जब आप किसी दर्द या तनाव को महसूस करते हैं तो मस्तिष्क उसे शारीरिक रूप से अनुभव करता है, जैसे कि वह किसी बाहरी आक्रमण का सामना कर रहा हो। यह “मनोशारीरिक प्रभाव” है, जो यह दर्शाता है कि मानसिक स्थितियां शरीर पर शारीरिक प्रभाव डाल सकती हैं। यही कारण है कि मानसिक तनाव हाई बीपी या सिरदर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
  4. आपके शरीर की गति आपके भावनाओं को प्रभावित कर सकती है : एक अध्ययन में यह पाया गया कि यदि आप अपने शरीर की मुद्रा को बदलते हैं, जैसे कि अपने शरीर को अधिक खुले और आत्मविश्वासी तरीके से रखते हैं तो यह आपके मानसिक स्थिति को भी बदल सकता है। उदाहरण के लिए, जब लोग अपनी पीठ सीधी रखते हैं और ऊंचा सिर रखते हैं तो वे अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं।
  5. आपका मस्तिष्क निर्णय लेने में पहले से तैयार होता है : एक अध्ययन में यह पाया गया कि आप किसी निर्णय को लेने से पहले आपके मस्तिष्क में पहले से तैयार हो जाता है। उदाहरण के लिए, जब आप किसी वस्तु को खरीदने के बारे में सोचते हैं तो आपका मस्तिष्क इस निर्णय को लेने से पहले 10 सेकंड पहले ही “निर्णय” ले चुका होता है, और आपको यह अनुभव नहीं होता।
  6. प्राथमिकता का प्रभाव (Priming Effect) : जब आप किसी विशेष शब्द या विचार से पहले एक संकेत प्राप्त करते हैं, तो वह आपके व्यवहार और निर्णय को प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप पहले “सकारात्मक” शब्दों से प्रभावित होते हैं तो आप अन्य लोगों को भी सकारात्मक रूप से देख सकते हैं, भले ही आपने किसी को पहले से न देखा हो।
  7. हम केवल 5% सचेत निर्णय लेते हैं : हमारा अधिकांश निर्णय लेने का कार्य अवचेतन रूप से होता है। अनुसंधान के अनुसार, हम जो फैसले सोचते हैं उनमें से केवल 5% ही हमारे मस्तिष्क के “सचेत” हिस्से से आते हैं। बाकी के निर्णय अवचेतन मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होते हैं।
  8. “पागलपन” और सामान्य व्यवहार के बीच फर्क खोजना मुश्किल है : मनोविज्ञान में यह सिद्धांत पाया गया है कि जो लोग सामान्य दिखते हैं, वे कभी भी “पागल” हो सकते हैं और जो लोग मानसिक रूप से अस्थिर दिखते हैं, उनका व्यवहार कभी-कभी सामान्य होता है। मानसिक बीमारियों के साथ जीने वाले लोग अपने सामान्य जीवन में पूरी तरह से कार्य कर सकते हैं।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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