बालाघाट : मध्यप्रदेश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान को रविवार को एक बड़ी सफलता मिली। बालाघाट में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 10 इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। सरेंडर करने वालों में 4 महिला नक्सली भी शामिल हैं। इस मौके पर नक्सलियों ने अपने हथियार मुख्यमंत्री को सौंपे, जिसके बदले में डॉ. यादव ने उन्हें भारत के संविधान की प्रति भेंट की।
आत्मसमर्पण कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप काम कर रही है। उन्होंने ‘लाल सलाम को आखिरी सलाम’ का संदेश देते हुए कहा कि जनवरी 2026 तक मध्यप्रदेश को पूरी तरह नक्सल मुक्त करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
हथियार छोड़ने वालों का होगा पुनर्वास
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा का रास्ता छोड़कर कानून की राह अपनाने वालों के पुनर्वास की पूरी चिंता सरकार करेगी। उन्होंने नक्सलियों से अपील की कि वे सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं। सरकार उनके जीवन को सुरक्षित करने और रोजगार उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। पिछले वर्ष नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और सहायता के लिए 46 एकल सुविधा केंद्र (Single Window Centers) खोले गए हैं, जहां रोजगार और वन अधिकार पत्र जैसी सेवाएं दी जा रही हैं।
बढ़ रहा है सुरक्षा बलों का दायरा
नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में सुरक्षा ढांचे को लगातार मजबूत किया जा रहा है। इसके तहत 15 नए अस्थायी कैंप स्थापित किए गए हैं और विशेष सहयोगी दस्ता के लिए 882 नए पद स्वीकृत किए गए हैं। सतत निगरानी और सघन जांच अभियानों के चलते प्रदेश में नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र तेजी से सिमटा है। मुख्यमंत्री ने कर्तव्यनिष्ठा के लिए हॉक फोर्स और पुलिस के 328 अधिकारियों को ‘आउट ऑफ टर्न’ प्रमोशन देने की भी जानकारी दी।
इन नक्सलियों ने किया सरेंडर
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय थे। इनमें प्रमुख नाम सुरेंद्र उर्फ कबीर (सुकमा), राकेश ओडी (गडचिरौली), लालसिंह मरावी (दंतेवाड़ा), और नवीन नुप्पो (सुकमा) शामिल हैं। महिला नक्सलियों में शिल्पा नुप्पो, सलीता उर्फ सावित्री, जयशीला उर्फ ललीता और जरिना उर्फ जोगी ने हथियार डाले हैं। इनके अलावा विक्रम उर्फ हिडमा और समर उर्फ समारू ने भी मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
पुलिस महानिदेशक (DGP) कैलाश मकवाना ने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एंटी नक्सल अभियान को नई दिशा मिली है। हॉक फोर्स और पुलिस बल में वृद्धि के साथ-साथ जवानों का मनोबल बढ़ाया जा रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। मध्यप्रदेश पुलिस तय समय-सीमा में नक्सल उन्मूलन के लिए संकल्पित है।





