Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1

940 फ्रंट लाइन वर्कर्स के नाम के आगे एक ही मोबाइल नंबर, वैक्सीनेशन रहा शून्य   

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना की वैक्सीन आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) तक सब कितने गंभीर है ये प्रदेश और प्रदेश जानता है लेकिन मध्यप्रदेश सरकार (MP Government)के कुछ मुलाजिम इसे लेकर कितने गंभीर हैं इसका एक बड़ा उदाहरण ग्वालियर में देखने को मिला है। ग्वालियर में वैक्सीनेशन (vaccination)को लेकर एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहाँ वैक्सीनेशन (vaccination)के लिए बनाई गई 940 फ्रंट लाइन वर्कर्स की सूची में उनके नाम के आगे एक ही मोबाइल नंबर लिख दिया गया जिसका परिणाम ये हुआ कि वैक्सीनेशन (vaccination)का मैसेज किसी के पास नहीं पहुंचा और वैक्सीनेशन (vaccination) नहीं हो सका।

8 फरवरी से वैक्सीनेशन (vaccination)का दूसरा  राउंड  शुरू हुआ है। लेकिन दूसरे राउंड के पहले ही दिन बड़ी लापरवाही सामने आई। ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल समूह (JAH) में सभी 9 बूथ खाली पड़े रहे। वैक्सीनेशन (vaccination) ना हो पाने की एक बड़ी वजह भी सामने निकल कर आई वो ये कि जयारोग्य अस्पताल समूह (JAH) के जिन 7 बूथ पर नगर निगम के 940 फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन (vaccine)लगनी थी वो पहुंचे ही नहीं क्योंकि उनके पास मैसेज ही नहीं पहुंचा।  जब ये बात सामने आई तो लिस्ट चैक की गई तो पता चला कि  जेएएच (JAH) में जो लिस्ट वैक्सीनेशन (vaccination) के लिए पहुंची थी, उसमें सभी 940 नामों के सामने एक ही मोबाइल नंबर (9977461031) लिखा था। इस कारण न तो लिस्ट में जिनके नाम थे, उन तक मैसेज पहुंचे और न ही कॉल। नतीजा, जेएएच (JAH) के सेंटर पर दिन भर में एक भी वर्कर को वैक्सीन (vaccine) नहीं लग सकी। कुछ लोग पहुंचे भी, लेकिन नंबर मैच नहीं होने से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। बाद में पता लगा कि यह मोबाइल नंबर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ कार्यालय अधीक्षक राजेश सक्सेना का है, जबकि राजेश का कहना था कि उनका लिस्ट में नाम ही नहीं था।

About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....