आगर मालवा। गिरीश सक्सेना।
मुख्यमंत्री से प्राप्त निर्दशो के बाद संगठित और असंगठित माफियाओ पर कार्यवाही के लिए आगर मालवा जिले में भी प्रशानिक अमला सक्रिय हो चुका है। यहां कलेक्टर संजय कुमार और एसपी सविता सोहाने के मार्गदर्शन में जिले के दोनों अनुभाग आगर और सुसनेर के लिए क्षेत्र के दोनो एसडीएम महेंद्र कवचे और मनीष जैन की अध्यक्षता में अलग-अलग दल बनाए गए है।
ये दल सबसे पहले अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय शासकीय एवं अशासकीय भूमि के भूमाफिया, शराब, रेत, ट्रांसपोर्ट, गुमटी, मादक पदार्थ, खनिजो के अवैध उत्खनन आदि क्षेत्र में सक्रिय संगठित और असंगठित माफियाओ की सूची बनाने की कार्यवाही कर रहै है और माफियाओ के सूचीबध्द होने के बाद इन पर सख्त कार्यवाही करने की बात भी कलेक्टर और एसपी द्वारा कही जा रही है। वहीँ आम नागरिक भी अपनी शिकायत सीधे इन दलों के साथ ही पुलिस के कंट्रोल रूम नंबर 07362260760 पर कर सकता है और यदि कोई भी इस शर्त पर शिकायत करता है कि उसका नाम गोपनीय रखा जाए तो फिर शिकायतकर्ता के नाम को गोपनीय रखने का आश्वासन भी जिम्मेदारों द्वारा दिया जा रहा है ।
यदि वास्तव में जिला प्रशासन का यह अभियान साहस और गंभीरता से आगे बढ़ता है तो फिर आगर मालवा जिले में विशेषकर भू माफियाओ के साथ ही जिले के राजस्थान सीमा से लगे होने के चलते यहां पर हो रही मादक पदार्थ की तस्करी, अवैध खनिज उत्खनन माफियाओ के खिलाफ बड़ी कार्यवाही सामने आ सकती है। जिला मुख्यालय आगर सहित ही जिले की बाकी तीनो तहसील सुसनेर, नलखेड़ा , बडौद के साथ ही सोयत, कानड़ वह क्षेत्र है जहां से बड़े पैमाने पर शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत लगातार सामने आती रहती है।
यदि शासकीय भूमि बाहुल्य जिला मुख्यालय आगर की ही बात की जाए तो यहां बडौद रोड चौराहे और चौराहे से लगी बडौद रोड तथा इंदौर कोटा राजमार्ग के दोनों ओर, पुराने समय मे डाली गई जिनिंग फैक्ट्रियां, छोटे और बड़े तालाब, दशहरा मैदान, नए और पुराने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी तथा साई मंदिर के आस पास की भूमि, रेल्वे की भूमि आदि जगह पर अतिक्रमण को लेकर कई बार शिकायत सामने आ चुकी है और कई बार जिम्मेदारों द्वारा जांच में शिकायत को सही पाए जाने के जांच प्रतिवेदन भी समय समय पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सोपे गए है पर उसके बाद अक्सर ही ये प्रकरण भरस्टाचार और राजनीतिक दवाब के चलते ठंडे बस्ते में डालने के आरोप जिला प्रशासनिक मशीनरी पर लगे है। जिला मुख्यालय की तरह ही जिले के बाकी क्षेत्र सुसनेर, नलखेड़ा, बडौद, सोयत और कानड़ में भी कमोबेश यही हालात है। मादक पदार्थ के अलावा विभिन्न क्रेशर मशीनों के आस पास हो रहे अवैध उत्खनन भी इस जिले की एक बड़ी समस्या है पर इस क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रभावशाली लोग अभी तक अपने रसूख से बचते चले आ रहे है।
पर वर्तमान में जिस तरह से प्रदेश में मौजूद कमलनाथ की कांग्रेस सरकार द्वारा प्रभावशील माफियाओ के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है उसको देखते हुए जिले की आम जनता में भी यहां के संगठित और असंगठित माफियाओ के खिलाफ कार्यवाही होने की आस जगी है। अब यह तो समय ही बताएगा कि क्या वास्तव में माफियाओ के खिलाफ प्रदेश और जिले में शुरू की गई यह पहल किसी मुकाम तक पहुचेगी या इसका भी हश्र उसी तरह का होगा जैसा कि अमूमन सरकारी आंदोलन का होता आया है ।