आंगनबाड़ियों पर लटके ताले, पड़े मासूमों के पोषण के लाले

Gaurav Sharma
Published on -

Anganwadi Strike MP : मध्यप्रदेश की लगभग 98000 आंगनवाड़ी केंद्रों पर हड़ताल और पोषण की राह देखते नौनिहाल, मध्यप्रदेश में इस वक्त कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। 15 मार्च से सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर लड़ाई करते आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और संबंधित अधिकारी सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं।

नहीं हो पा रहा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन 

इस हड़ताल का असर जिन पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है वह हैं पोषण की राह देखते मासूम नौनिहाल और देखभाल की राह देखती गर्भवती महिलाएं। इस हड़ताल के चलते न तो मासूमों को सही तरीके से पोषण मिल पा रहा है और न ही गर्भवती महिलाओं को। आलम यह है कि इस हड़ताल के चलते कहीं ना कहीं भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की भी नजरअंदाज़ी की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन कहती है कि जरूरतमंद बच्चों को साल के 300 दिन का पोषण आहार हर हाल में देना जरूरी है। लेकिन हड़ताल के चलते इस गाइडलाइन का पालन भी नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि महिला एवं बाल विकास विभाग को इन सभी जरूरी चीजों के क्रियान्वयन के लिए दूसरे विभागों को पत्र लिखकर मदद मांगने की जरूरत पड़ रही है।

किसी भी कार्यवाही के लिए तैयार 

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अब तक हमारी मांगों को लेकर सरकार का कोई भी बयान सामने नहीं आया है। और अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम सभी भोपाल जाकर प्रदर्शन करेंगे फिर चाहे हम पर जो भी कार्यवाही हो। आपको बता दें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और संबंधित अधिकारी अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर यह प्रदर्शन कर रहे हैं।

कलेक्टर ने दिये निर्देश 

हड़ताल के चलते जबलपुर कलेक्टर ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों को पत्र लिखा है और उनको निर्देश दिए हैं कि उनके विभाग के कर्मचारी आंगनवाड़ी जाकर ताला खोलें और बच्चों और महिलाओं को दिए जाने वाले पोषण आहार का क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।

स्थगित हुआ पोषण पखवाड़ा 

आपको बता दें सरकार द्वारा 20 मार्च से 3 अप्रैल तक पोषण पखवाड़े का आयोजन किया जाना था जो इस हड़ताल के चलते मुमकिन नहीं हो सका। अब देखना यह होगा कि सरकार और कर्मचारियों के बीच चल रहे इस द्वंद को सरकार कैसे संभालेगी।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News