MP News : बच्ची की आंख से निकल रहे पत्थर! डॉक्टर भी हैरान, क्षेत्र में हो रही तरह तरह की चर्चाएं

MP News : आपने आंख से आंसू गिरने के किस्से बहुत सुने होंगे, इस पर न जाने कितने गीत, गजलें, रोमांटिक पोस्टर्स आपने देखे और पढ़े होंगे लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि आंख से पत्थर (कुछ ठोस पदार्थ) निकल रहे हैं, नहीं सुना होगा…मगर एमपी के एक जिले से एक ऐसी ही खबर आ रही है जिसपर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है, इलाज करने वाले डॉक्टर्स भी हैरान हैं।

नाबालिग बच्ची की हुआ आई फ्लू, अब आंख से निकल रहे पत्थर!

आंख से पत्थर निकलने की घटना का ये अजीब मामला है  मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले (Anuppur District MP) का, जिले के निमहा गांव की रहने वाली एक किशोरी के साथ ये घटना हो रही है, परिजनों के मुताबिक उनकी 15 साल की सरस्वती को आई फ्लू इंफेक्शन हुआ था, उसका इलाज लिया लेकिन उसके बाद से अब उसकी आँख में पत्थर (कुछ ठोस पदार्थ) निकल रहा है, उसकी आंख को दबाते ही ये ठोस पदार्थ बाहर निकल रहा है।

गांव में अंधविश्वास की चर्चा, इलाज कर रहे डॉक्टर्स भी हैरान 

परिजन परेशान होने लगे और बात आग की तरह गांव में फ़ैल गई, लोग जादू टोना की शंका करने लगे तो परिजनों ने झड फूंक भी करवाई लेकिन मामला बीमारी से जुड़ा था तो झड फूंक का कोई फायदा नहीं हुआ, परिजन सरस्वती को लेकर अस्पताल पहुंचे , पहले तो डॉक्टर्स को उनकी बात पर भरोसा नहीं हुआ लेकिन जब डॉक्टर्स ने खुद ये सब देखा तो वो हैरान रह गए।

डॉक्टर्स ने करवाए बच्ची के टेस्ट, इलाज जारी 

नेत्र रोग विशेषज्ञ ने सरस्वती का चैक अप किया और फिर उसका इलाज शुरू किया, आई स्पेशलिस्ट डॉ जनक का कहना है कि जो पत्थरनुमा पदार्थ परिजन दिखा रहे हैं उसका आंख से कोई संबंध नहीं है, हम बच्ची का इलाज कर रहे हैं, जरूरी टेस्ट करवाये जा रहे हैं । जांच करने के बाद ही कुछ कह पाएंगे। डॉक्टर के मुताबिक ये आंख आने की एलर्जी है,  कभी-कभी कुछ केसों में आंख से निकलने वाला पदार्थ ठोस हो जाता है जिसे लोग पत्थर निकलना मान लेते है , घबराने की कोई बात नहीं है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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