देशभर में होली और रंग पंचमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिसके लिए अभी से ही तैयारी हो चुकी है। यह फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। अभी से ही बाजार रंग-बिरंगे गुलाल, कपड़े, पिचकारी, मिठाइयों से सज-धज कर तैयार हैं। लोग घरों की साफ-सफाई में जुटे हुए हैं। बच्चों में खासकर ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है। इस दिन से हिंदू के नए साल का शुभारंभ होता है। लोग अपनी पुरानी दुश्मनी को भूलाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और नए सिरे से रिश्ते की शुरुआत करते हैं। वहीं, अशोकनगर जिले के करीला धाम में हर साल की तरह इस साल भी रंग पंचमी के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाएगा।
मुंगावली तहसील अंतर्गत जसैया गांव में स्थित करीला धाम में माता जानकी (सीता जी) और उनके पुत्र लव-कुश की जन्मस्थली है, जहां हर साल रंग पंचमी के अवसर पर यहां भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आकर दर्शन करते हैं।

लाखों श्रद्धालु पहुंचने की उम्मीद
मंदिर पुजारी के अनुसार, इस ऐतिहासिक मेले की खासियत यह है कि यहां ऋषि वाल्मीकि की दिव्य गुफा के द्वार वर्ष में केवल एक बार इसी दिन खुलते हैं, जहां श्रद्धालु दीपक और अखंड जलती धूनी के दर्शन कर सकते हैं। रंग पंचमी के अवसर पर इस पवित्र स्थल पर लाखों श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से आते हैं। इस वर्ष आयोजित होने वाले मेले में करीब 25 से 30 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। इस दिन श्रद्धालु माता जानकी और लव-कुश की प्रतिमाओं के दर्शन करेंगे। मान्यता है कि इस गुफा के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
CCTV से रखी जाएगी निगरानी
करीला ट्रस्ट समिति के अध्यक्षों ने बताया कि 19 मार्च को रंग पंचमी का मेला लगेगा। जिसके लिए शासन-प्रशासन द्वारा सभी तैयारिया पूर्ण कर ली गई है। इसमें पेयजल व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ प्रांगण में मंदिर में सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में पूरा आयोजन होगा, ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना ना घटे।
पौराणिक मान्यता
रामायण काल से जुड़ा यह स्थान ऋषि वाल्मीकि की तपस्थली माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम ने माता सीता का त्याग किया था, तब वे यहीं ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में आकर रहने लगी थीं। यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ। बड़े होने के बाद उन्होंने अपनी शिक्षा एवं शस्त्र विद्या की शिक्षा प्राप्त की। इस धाम से जुड़ी एक विशेष मान्यता यह भी है कि जब लव-कुश का जन्म हुआ था, तब स्वर्ग से अप्सराएं यहां उतरीं और उन्होंने नृत्य किया। इसी परंपरा के तहत, आज भी श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर यहां राई नृत्य करवाते हैं।
अशोकनगर, अलीम डायर