अशोकनगर राई नृत्यांगनाओं के HIV टेस्ट का मामला, कलेक्टर को नोटिस, महिला आयाेग ने 5 दिन में मांगा जवाब

Pooja Khodani
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Ashok Nagar News : मध्य प्रदेश के अशोकनगर में करीला मेले में आई राई नृत्यांगनाओं का प्रशासन द्वारा एचआईवी टेस्ट करवाने के मामले के बाद बवाल मच गया है। महिला आयोग ने इस पूरी मामले को संज्ञान में लिया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पर आपत्ति जताई और कलेक्टर को नोटिस भेजकर 5 दिन में जवाब मांगा है।अशोकनगर  कलेक्टर आर. उमा महेश्वरी काे भेजे पत्र में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने लिखा है कि आरोप लगाया गया है कि नृत्यांगनाओं के लिए एचआईवी परीक्षण कराना अनिवार्य है, जो उनके सम्मान के साथ जीने के अधिकार का घोर उल्लंघन है।

ये है पूरा मामला

इस पूरे मामले के सामने आने के बाद प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है, हालांकि रविवार काे जिला प्रशासन ने भी प्रेसनोट जारी कर जांच कराने संबंधी मामले को नकारा, लेकिन टेस्ट करने की बात कहने वाले सीएमएचओ डॉ. नीरज छारी ने रविवार को कहा था कि एचआईवी टेस्ट कराने जैसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ, न ही यहां जांच की सुविधा है। वही जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने टेस्ट के पीछे तर्क दिया है कि जो महिलाएं यहां राई नृत्य करने आई है, उनका चरित्र संदेहास्पद हो सकता है।स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 11 नृत्यांगनाओं का HIV टेस्ट कराया गया है।चुकि करीला मेला एक धार्मिक आयोजन है। ऐसे में HIV टेस्ट कराना स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़ा करता है।

प्रशासन पर उठे सवाल

  1. दरअसल, जिले में करीला का राई मेला माता जानकी के नाम से सदियों से लगता रहा है। मान्यता है कि मां जानकी ने यही लव कुश को जन्म दिया था और लव कुश के जन्म पर अप्सराएं स्वर्ग से उतरकर नृत्य करने के लिए यहां आई थी। इसी लोकमत को परंपरा के तौर पर सदियों से यह निभाया जा रहा है। आज भी लोग मन्नते मांगते हैं, और पूरे होने पर राई नृत्य कराते हैं, ऐसे में मां जानकी के मंदिर में राई नृत्य करने के लिए आने वाली नृत्यांगनाओं का एचआईवी टेस्ट कराना स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन का बेहद गैर जिम्मेदाराना, लापरवाही पूर्ण एवं सनातनी लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है।
  2. वही महिलाओं के प्रति सम्मान रखने एवं बेटी को देवी की तरह पूजे जाने वाले मध्य प्रदेश में नृत्यांगनाओं के प्रति सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की क्या सोच है, यह दर्शाता है, ऐसे में कई सवाल खड़े होते है कि आखिर इसकी क्या जरूरत पड़ी और यह करने के लिए उनके पास क्या आधार था।बड़ा सवाल ये है कि जिले में यह सब तब हुआ है,जब जिले के 2 सबसे बड़े पदों कलेक्टर एवं सीईओ जिला पंचायत खुद आईएएस महिलाये है।

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