इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। बीते माह निगमकर्मियों द्वारा शहर में स्वच्छता के नाम पर वृद्धजनों (Elder men) , भिखारियों (Beggars) और बेसहाराओं को जानवरों की तरह भरकर शहर निकाला करने की कोशिश की गई थी जिसके बाद समूचे इंदौर (Indore) की देशभर में किरकिरी हुई थी। इसके बाद हरकत में आये निगम और जिला प्रशासन ने तेजी से सड़कों पर पड़े वृद्धजनों और भिक्षुकों को उठाना शुरू किया और विशेष योजना के जरिये उनके पुनर्वास पर काम शुरू कर दिया। बता दे कि केंद्र सरकार द्वारा देश के 10 शहरों का चयन भिक्षुक मुक्त किए जाने वाले शहरों के रूप में किया गया है इनमें इंदौर (Indore) भी शामिल है। इसी योजना के तहत केंद्र सरकार की दीनबंधु पुनर्वास योजना के तहत इंदौर (Indore) में 24 फरवरी से भिक्षुकों और बेसहारा लोगों के लिए पंजाब अरोड़वंशीय धर्मशाला में एक शिविर का आयोजन किया गया है। शिविर में गोल्ड कॉइन सेवा ट्रस्ट, परम पूज्य रक्षक आदिनाथ वेलफेयर एंड एजुकेशन सोसायटी प्रवेश संस्था, निराश्रित सेवाश्रम एनजीओ के माध्यम से शहर के भिक्षुकों को शिविर में लाया जा रहा है।
शिविर में अब तक 109 लोगों को लाया जा चुका है जिनमें से 36 लोगों का इलाज अरविंदो अस्पताल (Aurobindo Hospital) में किया जा रहा है। वहीं शिविर बेसहारा वृद्धजनों को बारातियों से कम सुविधा नहीं मिल रही है। शिविर में लजीज भोजन, गर्मी से बचाव के लिए कूलर पंखों की व्यवस्था सहित सभी वृद्धजनों की काउंसलिंग की जा रही है और कुछ समय बाद इनमें से जिन लोगों के परिजन इन्हें अपनाएंगे उन्हें उनके साथ कुछ शर्तों के साथ भेज दिया जाएगा वहीं जो वृद्धजन आश्रम में रहने को इच्छुक हैं उन्हें वहां रखा जाएगा।
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बता दे कि काउंसिलिंग के दौरान एनजीओ को पता चला कि कई वृद्ध ऐसे भी मिले जो करोड़पति हैं लेकिन नशे की आदत के चलते उन्हें उनके परिवार ने त्याग दिया और वो भिक्षा मांगकर शराब और पाउडर जैसे नशे में घिर गए। ऐसे ही एक वृद्ध रमेश यादव का रेस्क्यू किला मैदान क्षेत्र से किया गया था।वहीं अमावस बाई उर्फ रेशमा को भी लालबाग और वंदना जैन को विद्याधाम से लाया गया था जो अब आश्रम में रहने को तैयार है।
शिविर में बारातियों जैसी आवभगत pic.twitter.com/wOLCeNTtOT
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नगर निगम के अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर (Abhay Rajanganvkar) ने बताया प्रयास किया जा रहा है कि जिन भिक्षुकों के परिवार हैं उन्हें परिवार में पहुंचाया जाए और जो निराश्रित हैं उन्हें विभिन्न आश्रमों में रखा जाएगा। जो लोग कुछ काम कर सकते हैं उन्हें एनजीओ की मदद से किसी काम में लगाया जाएगा। लगभग सभी भिक्षुक और निराश्रित लोग यहां काफी खुश नजर आए।
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फिलहाल, इंदौर में निगमकर्मियों की लापरवाही के बाद आखिरकार प्रशासन को क्षमाबोध हुआ और अब भिक्षुकों की सेवा बारातियों के समान की जा रही है जो कम से कम उन भिक्षुकों के लिए एक बड़ी राहत है जिन पर किसी का ध्यान नही जाता था वही शिविर में नशामुक्ति का प्रयास भी किया जा रहा ताकि नशे की लत के चलते दोबारा भिक्षुक वो ही कार्य मे न लग जाये जो सालों से उन्हें त्रासदी दे रहा था।