Awake Craniotomy : मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के एम्स हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जरी विभाग में एक युवक का सफल अवेक क्रैनियोटॉमी ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन के दौरान युवक पूरी तरह से होश में रहा। बताया जा रहा है कि युवक के दिमाग का ट्यूमर मोटर क्षेत्र के एकदम पास था। ऐसे में जब ऑपरेशन किया जा रहा था तब मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया में ऑपरेशन करने पर कमजोरी होने की संभावना थी इस वजह से ये ऑपरेशन बेहद ही चुनौतीपूर्ण था। लेकिन युवक ने भी इस ऑपरेशन में डॉक्टर्स की मदद की और वह ऑपरेशन के दौरान पूरी तरह से होश में रहा।
सर्जरी के दौरान युवक ने बजाय पियानो और पढ़ी हनुमान चालीसा
सर्जरी के वक्त युवक ने हनुमान चालीसा का पाठ किया इतना ही नहीं उसने पियानो भी बजाय और मंदिर में आरती के समय बजाय जाने वाले मंजीरे भी बजाए। वह ऑपरेशन के दौरान बिलकुल भी नर्वस नहीं हुआ उसने पूरी हिम्मत के साथ डॉक्टर्स की मदद की और डॉक्टर्स ने भी सफलतापूर्वक ब्रेन ट्यूमर युवक ने दिमाग से निकाल दिया। आपको बता दे, युवक की उम्र मात्र 28 वर्षीय है। वह जिला-बक्सर बिहार का रहने वाला है। उसका ब्रेन ट्यूमर का अवेक क्रैनियोटॉमी सर्जरी एम्स में किया गया। इस सफल सर्जरी के लिए डायरेक्टर अजय सिंह ने सर्जरी टीम के डॉक्टर सुमित राज, डॉक्टर अमोल मित्तल, डॉक्टर रंजीत और एनेस्थीसिया टीम के डॉक्टर आशुतोष कौशल और डॉक्टर अनुपम को बधाई दी।
जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि युवक बार-बार दौरे पड़ने की समस्या लेकर न्यूरोसर्जरी ओपीडी में आया था। उसे संपूर्ण मूल्यांकन के लिए अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। प्रो. अमित अग्रवाल, डॉ. आदेश श्रीवास्तव, डॉ. सुमित राज और डॉ. प्रदीप चौकसे द्वारा अंतर्विभागीय बैठक आयोजित की गई और हाथ-पैरों की कमजोरी के जोखिम को कम करने के लिए अवेक क्रैनियोटॉमी करने का निर्णय लिया गया।
डॉ. सुमितराज ने डॉ. अमोल मित्तल और डॉ. रंजीत के साथ निलकर इस ऑपरेशन को किया। क्रैनियोटॉमी के बाद ट्यूमर देखा गया। जब ट्यूमर को बाहर निकाला गया, उसी समय मरीज को पियानो बजाने के लिए कहा गया। प्रक्रिया के दौरान मरीज से लगातार बातचीत होती रही. प्रक्रिया के अंत में रोगी अपने अंगों को भी हिला रहा था। इस ऑपरेशन में एनेस्थीसिया टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें डॉ. आशुतोष कौशल और डॉ. अनुपमा शामिल थे।
आपको बता दे, अवेक क्रैनियोटॉमी एक इंट्राक्रानियल सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें घाव की मैपिंग और रीसेक्शन के लिए जहां सर्जरी के दौरान मरीज को जानबूझकर जगाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान यह प्रक्रिया तेजी से लोकप्रिय हुई और इसके परिणाम भी बेहतर आ रहे हैं।