पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में मारे गए झामसिह धुर्वे के परिवार से मिलने पहुंचे आयुष मंत्री कावरे,दिए मामले में जांच निर्देश

बालाघाट, सुनील कोरे। 6 सितंबर को बालाघाट के गढ़ी थाना क्षेत्र अंतर्गत बसपहरा के जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के झलमला थाना अंतर्गत बालसमुंद निवासी ग्रामीण लगभग 50 वर्षीय झामसिह धुर्वे की मौत हो गई थी। जिसको लेकर सर्व आदिवासी समाज ने विगत दिनों गढ़ी मुख्यालय में बड़ी बैठक कर पुलिस एवं नक्सली मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए छत्तीसगढ़ सीमा में प्रवेश कर बेकसूर आदिवासी ग्रामीण झामसिंह धुर्वे की हत्या किये जाने का आरोप लगया था। साथ ही मामले में सीबीआई की जांच कराने की मांग की थी।

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।