Balaghat News : लाडली बहना बनने जोखिम उठाकर मीलों का सफर तय कर रही महिलायें

आजादी के इतने सालों बाद भी ग्राम इंटरनेट क्रांति से अछूता है। जिसके कारण हमें लाडली बहना योजना के पंजीयन के लिए ग्राम की पात्र महिलाओं को यहां लाकर पंजीयन करवाना पड़ रहा है।

Balaghat News : पूरे प्रदेश में 25 मार्च से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की महत्वकांक्षी योजना लाडली लक्ष्मी बहना योजना का कार्य चल रहा है, बड़ी संख्या में बहनों का पंजीयन कराकर जिला भी प्रदेश में अव्वल रहने की भागमभाग में है, जिसमें जमीनी हकीकत, एक यह भी है कि महिलाओं को लाडली बहना बनने के गांव की पंचायत में नेटवर्क समस्या के चलते जंगल की उंची पहाड़ी पर जोखिम उठाकर और मीलों का सफर तय कर पंजीयन कराने मजबूर होना पड़ रहा है। आलम यह है कि पहले केवायसी और फिर पंजीयन, दो-दो बार महिलाओं को आना पड़ रहा है, जो आधुनिक युग में पिछड़ेपन की कहानी को बयां करता है।

संचार क्रांति के इस युग में जहां 5-जी की स्पीड में देश के आगे बढ़ने के दावे किये जा रहे है वहीं, जिले का ग्राम मोहनपुर, जो आजादी के 75 साल बाद भी मोबाईल नेटवर्क से अछूता है, जिसके कारण लाडली बहना योजना के पंजीयन के लिए ग्राम की पात्र हितग्राही महिलाओं को चार से पांच किलोमीटर दूर ओदा के जंगल की पहाड़ी पर जाना पड़ रहा है। जहां पंचायत द्वारा उनका पंजीयन किया जा रहा हैं।

पंचायत सचिव दिलीपसिंह मरकाम की मानें तो महिलाओं को ट्रेक्टर से लाया जा रहा है, लेकिन कभी ट्रेक्टर के किसी अन्य कार्य में फंसे होने से महिलायें लाडली बहना बनने जंगल के रास्ते से मीलों का सफर तय करके पंजीयन कराने पहुंचती है। कहते है ना कि ‘‘जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई’’ की तरह मजबूर है।

Balaghat News : लाडली बहना बनने जोखिम उठाकर मीलों का सफर तय कर रही महिलायें

सरपंच सुंदरलाल पांचे की मानें तो ग्राम में इंटरनेट नेटवर्क की समस्या ना होने की समस्या को कई बार वह कलेक्ट्रेट में पहुंचकर कलेक्टर महोदय को कई बार अवगत करा चुके है लेकिन कभी कोई ध्यान नहीं दिया गया। आजादी के इतने सालों बाद भी ग्राम इंटरनेट क्रांति से अछूता है। जिसके कारण हमें लाडली बहना योजना के पंजीयन के लिए ग्राम की पात्र महिलाओं को यहां लाकर पंजीयन करवाना पड़ रहा है।

पंचायत सचिव दिलीपसिंह मरकाम ने बताया कि ग्राम में 355 महिलायें लाडली बहना योजना के लिए पात्र है, जिनमें अब तक 70 महिलाओं का पंजीयन हो गया हैं। चूंकि महिलाओं के केवायसी और आधार नंबर लिंक नहीं होने से सभी कार्य करने पड़ रहे है। महिला नैना आमाडारे की मानें तो ग्राम से ढाई से तीन किलोमीटर दूर पंजीयन कराने आने पड़ रहा है, जंगल से होकर यहां पहुंचना पड़ता है, जिससे असुविधा और परेशानी दोनो हो रही है लेकिन योजना में पंजीयन कराना भी जरूरी है, जिसके लिए महिलायें यहां आकर पंजीयन कराने मजबूर है।
बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट