छत्तीसगढ़ के एक परिवार ने बालाघाट पुलिस से मांगी सुरक्षा, कहा- छत्तीसगढ़ पुलिस नहीं कर रही मदद

Gaurav Sharma
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chhatisgarh family seeking help balaghat police

बालाघाट, सुनील कोरे । छत्तीसगढ़ राजनांदगांव जिले (Chhattisgarh Rajnandgaon district) के बसंतपुर निवासी एक परिवार ने बालाघाट पुलिस (balaghat police) से सुरक्षा की मांग की है। बालाघाट पुलिस अधीक्षक कार्यालय (balaghat sp office) पहुंचे जहां कैलाश निकोसे और उसके परिवार ने बताया कि राजनांदगांव पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही है। इस मामले में पीड़ित परिवार, परिवार के बेटे की करनी की सजा भुगत रहा है।

गौरतलब है कि राजनांदगांव जिले (Rajnandgaon district) के बसंतपुर थाना अंतर्गत विगत 23 सितंबर को गोल्डी मरकाम की हत्या हुई थी, जिसमें पीड़ित परिवार के कैलाश निकोसे के पुत्र राजा निकोसे सहित 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें सभी लोगों को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। जिसकी बसंतपुर पुलिस विवेचना कर रही है।

पीड़ित परिवार के मुखिया कैलाश निकोसे का कहना है कि मामला पुलिस विवेचना में होने और आरोपियों द्वारा आत्मसमर्पण किये जाने के बावजूद मृतक गोल्डी मरकाम के परिजन और साथी, हमारे परिवार को परेशान कर रहे है। उनके द्वारा घर में आकर हमारे साथ मारपीट किये जाने से कारण परिवार के अन्य लोगों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें भागकर बालाघाट आना पड़ा।

पीड़ित कैलाश निकोसे की मानें तो परिवार में मां, बहन और बच्चों सहित लगभग 17 लोग है। जिनके भागकर बालाघाट आने के बाद मृतक गोल्डी मरकाम और रिश्तेदारों ने उनके घर में रखी उनकी ऑटो और एक्टिवा मोपेड को जला दिया है और घर का ताला तोड़कर घर में रखे सभी सामान को चोरी कर लिये है और घर में रखे दस्तावेज राशन कार्ड, आधार कार्ड, बच्चो सहित परिवार के आवश्यक दस्तावेज को जला दिये है। जिससे पूरा परिवार जान के जोखिम के कारण भयभीत और दहशत में है।

पीड़ित कैलाश निकोसे ने बताया कि घर में रखे वाहनों और कागजी दस्तावेज को जलाये जाने और रखे सामानों की चोरी करने के बाद भी गोल्डी मरकाम के परिजन और साथी घर को जुआ और शराब का अड्डा बनाकर रखे है। जिसकी जानकारी लगने पर बेटी मनीषा खांडेकर ने बसंतपुर थाने में घटना की शिकायत कर एफआईआर करने की बात कही तो पुलिस ने मदद करने से इंकार करते हुए कहा कि अपनी सुरक्षा खुद करें।

वहीं एसपी का कहना है कि इसकी एफआईआर (fir) थाने में लिखवाओ। राजनांदगांव पुलिस से मदद नहीं मिलने से परेशान होकर हम बालाघाट पुलिस से सुरक्षा की मांग कर रहे है, ताकि हमें सुरक्षित तरीके से पुलिस घर भिजवायें और हमें सुरक्षा दे ताकि एक पखवाड़े से भटक रहे पूरा परिवार सुरक्षित माहौल में रह सकें और जीवनयापन के लिए कोई काम धंधा कर सकें तथा बच्चों की पढ़ाई हो सके।

इनका कहना है

राजनादगांव जिले (Rajnandgaon district) के बसंतपुर थाना का एक परिवार सुरक्षा की मांग को लेकर मिला था। चूंकि यह मामला राजनांदगांव जिले का है, इसलिए राजनांदगांव पुलिस ही उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सकती है, हमने कहा कि यदि जिले में रहना है तो आप रह सकते है, यहां आपको अन्य लोगों की तरह सुरक्षित माहौल मिलेगा।
अभिषेक तिवारी, पुलिस अधीक्षक


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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