आर्मी जवान ने माता-पिता को पीटा, पेशाब पिलाने का भी आरोप, घायल बुजुर्ग दम्पत्ति को जिला अस्पताल किया रेफर

Shashank Baranwal
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Betul News: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से एक बड़ा मामला सामने आया है। जहां एक आर्मी जवान ने शराब के नशे में अपने माता-पिता को पहले गालियां दी और जब उसे गालियां देने से मना किया गया तो आर्मी जवान ने दोनों को ही लाठी से बेरहमी से पिटाई कर दी। जिससे दोनों बुजुर्ग दम्पत्ति घायल हो गए। वहीं उन्हें मुलताई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया। जहां से उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया। आपको बता दें यह घटना जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी. दूर मुलताई थाने के टेमझिरा गांव की है।

पीड़ित ने सुनाई आपबीती

पीडि़त मलुकचंद पिता कली सूर्यवंशी 74, मंगली बाई पति मलुकचंद निवासी टेमझिरा मुलताई ने बताया कि उनका पुत्र प्रभु सूर्यवंशी आर्मी में नौकरी करता है। वह छुट्टी पर आया था। 10 दिसम्बर को वह रात्रि में शराब पीकर आया और हमें गालियां देने लगा। गाली देने से मना किया तो उसने लाठी से हम दोनों की बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी। इसके बाद हमें ठण्डे पानी में रखा और पेशाब भी पिलाई। घटना को होते हुए गांव के पार्वतीराव माथनकर, मंचित माथनकर गुलाबचंद नरवरे ने भी देखा है।

आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज

इस मामले में मुलताई थाना प्रभारी प्रज्ञा शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट करने के दौरान सिर्फ मारपीट की बात वृद्ध दम्पत्ति ने बताई थी। बाद में पेशाब पिलाने की बात भी सामने आई है। दोनों के बयान लिए जाएंगे और यदि वह इसे स्वीकारते हैं तो मामले में धाराएं बढ़ाई जाएगी। फिलहाल आरोपी प्रभु सूर्यवंशी के खिलाफ धारा 323, 294, 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

बैतूल से वाजिद खान की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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