Betul News : मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में पहाड़ी की जाली में फंसे एक चीतल शावक को पारदी युवकों और वन विभाग कर्मियों ने बड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू किया है। यह शावक हाईवे की पहाड़ी में लगी जाली में फंस गया था। सैकड़ों फिट की ऊंचाई में फंसा यह शावक जंगल से यहां आकर फंस गया था।
यह है मामला
बता दें कि घटना बैतूल–नागपुर नेशनल हाईवे 47 का निर्माण करने के लिए सोनाघाटी की पहाड़ी को दो हिस्सों में बांटकर बीच में से फोरलेन सड़क बनाई गई है। पहाड़ी के दोनों हिस्सों से चट्टानें फोरलेन पर ना गिरें इसके लिए एनएचएआई ने तार की मजबूत जालियां लगा दी हैं। सड़क बनने से पहाड़ी दो हिस्सों में बंट गई है । जबकि इसी पहाड़ी से सटे जंगल में वन्यजीव रहते हैं। यहां एक चीतल का बच्चा पहाड़ी पर घूमते हुए अचानक कटे हुए हिस्से से नीचे गिर गया। करीब 100 फीट नीचे गिरने के बाद वह तार की जाली में फंस गया। चीतल के चिल्लाने की आवाज पास में ही रहने वाले पारदी समुदाय के बच्चों ने सुनी। बच्चों ने परिजनों को बताया तो वे भी उस आवाज का पता लगाने में जुट गए। ऊंची पहाड़ी पर उन्हें कोई वन्य प्राणी फंसा नजर आया। इस पर पारदी समुदाय के युवक पहाड़ी के ऊपरी हिस्से में पहुंचे और रेस्क्यू शुरू किया। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती पहाड़ी के कटे हुए हिस्से में 100 फीट नीचे उतरने की थी। तारों को पकड़कर दो युवा नीचे उतर गए। पास जाकर देखा तो चीतल तारों में फंसा हुआ था। उसके पैरों में गिरने से चोट आ गई थी। छटपटाने की वजह से वह जाली में बुरी तरह फंसा हुआ था। युवकों ने उसे जाली से निकालने का प्रयास शुरू किया। एक हाथ से जाली पकड़कर दूसरे हाथ से फंसे हुए चीतल को बाहर निकालने में करीब आधा घंटे का वक्त लग गया।
गौरतलब है कि बेहद छटपटा रहे चीतल के पैरों को रस्सी से बांधा और फिर सबसे मुश्किल काम उसे सुरक्षित ऊपर लेकर जाने का शुरू किया गया। एक दूसरे के सहारे से दोनों युवक चीतल को सुरक्षित निकाल लाए। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई थी। पारदी समुदाय के युवकों ने चीतल को सुरक्षित बचाने के बाद वन विभाग के हवाले कर दिया।
परिक्षेत्र सहायक अधिकारी जी.एन कुड़ापे व्रत सोनाघाटी ने बताया की शावक को मामूली चोट थी। जिसे पशु चिकित्सा में दिखाकर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया है।
बैतूल से वाजिद खान की रिपोर्ट