BETUL NEWS : मामला मध्य प्रदेश के बैतूल का है जहां बदतर स्वास्थ्य व्यवस्था का नमूना गुरुवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में देखने को मिला जहां हाथ मे बॉटल लगी बेटी को गोदी में लेकर पिता कलेक्टर के चेंबर में पहुंचा। पिता ने कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस को बताया कि उनकी बेटी कल से जिला अस्पताल में भर्ती है ,लेकिन डॉक्टर देखने तक नहीं आये। सही ढंग से इलाज नहीं मिलने से बेटी तड़प रही थी।
स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी
बैतूल का जिला अस्पताल अव्यवस्थाओं को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहता है। जिला अस्पताल की बदतर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर हमेशा आरोप लगते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला गुरुवार को सामने आया जिसने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। दरअसल बैतूल के आज़ाद वार्ड निवासी गुफरान फारुखी के 6 साल की बेटी मिफ्ता फारूकी को अपेंडिक्स होने के कारण पेट मे बहुत तकलीफ हो रही थी । गुफरान ने बुधवार की रात उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया मिफ्ता को डॉक्टर ने चेक किया और जिला अस्पताल में पदस्थ सर्जन डॉ रंजीत राठौर से चेक कराने के लिए सलाह दी गई।
परिजनों का आरोप
परिजनों का आरोप है कि गुरुवार की शाम तक सर्जन डॉ रंजीत राठौर बच्ची को देखने नहीं पहुंचे। बच्ची को तड़पता देख परिजन हाथ में बॉटल लगी हालत में ही बच्ची को वाहन से कलेक्ट्रेट लेकर पहुंचे और कलेक्ट्रेट के अंदर पिता उसे गोद उठा कर और पीछे से एक बच्चा बॉटल हाथ मे पकड़े कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस से मिलने पहुंचे। चेंबर में पहुंचने पर कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस ने परिजनों से कहा कि अगर आपको कोई दिक्कत थी तो फोन करके शिकायत कर सकते थे पर बच्ची को इस तरह लाना ठीक नहीं है। परिजनों ने उनको बताया कि उन्हें फोन लगाया था पर रिसीव नही हुआ। परिजनों ने बैस को बताया कि जिला अस्पताल में डॉक्टर बच्ची का इलाज करने में लापरवाही बरत रहे हैं। इसलिए बच्ची को लेकर आना पड़ा कलेक्टर श्री बैस ने जिला अस्पताल की डॉक्टरों को फोन लगाया और बच्ची का इलाज प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए।
श्री बैस ने अपने स्टेनो मुकेश गुमास्ता को इस बात की जिम्मेदारी दी की बच्ची का इलाज बेहतर ढंग से किया जाए इसकी मॉनिटरिंग श्री गुमास्ता करेंगे ।बच्ची के परिजनों को श्री गौमाता का नंबर भी दिया गया परिजन बच्ची को लेकर फिर जिला अस्पताल पहुंचे ओर कुछ देर रुकने के बाद परिजन बच्ची के इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल लेकर रवाना हो गए।
जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ रानू वर्मा ने बताया कि परिजनों का आरोप गलत है। बच्ची जब से भर्ती हुई उसका इलाज किया जा रहा था ।उसकी जांच भी कराई गई इसके अलावा सोनोग्राफी भी कराई गई। पेट में इन्फेक्शन होने के कारण तकलीफ हो रही थी। डॉ रंजीत राठौर इस बच्ची की जांच करने वाले थे किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती गई। परिजन बच्ची का इलाज कराने के लिए प्राइवेट अस्पताल ले गए हैं।
बैतूल से वाजिद खान की रिपोर्ट