इंग्लिश नहीं आई तो उखाड़े बच्ची के बाल, पिता ने टीचर के खिलाफ आरोप लगाते हुए की शिकायत

Shashank Baranwal
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Betul News: मध्य प्रदेश के बैतूल में शासकीय स्कूल में इंग्लिश नहीं आने पर टीचर द्वारा नाबालिग बालिका के बाल उखाडऩे का मामला सामने आया है। आज मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान पिता ने बच्ची के साथ पहुंचकर स्कूल टीचर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि उनकी बच्ची के साथ बाल खींचकर पिटाई की गई। जिसमें उसके बाल उखड़ गए हैं। मामले के सामने आने के बाद डीपीसी ने टीम गठित कर जांच कराने की बात की है।

जनसुनवाई के दौरान पिता ने कलेक्टर से की शिकायत

बैतूल के खेड़लीबाजार के शासकीय बालक प्राथमिक शाला में कक्षा चौथी में पढऩे वाली चेतना बामने के पिता उमेश बामने ने आज कलेक्टर की जनसुनवाई के दौरान आवेदन देकर शिकायत की है कि उसकी की बेटी चेतना के साथ स्कूल की टीचर पूर्णिमा साहू के द्वारा इंग्लिश नहीं आने पर मारपीट करते हुए बाल खींचे। जिससे बालिका के बाल उखड़ गए हैं और उसे बहुत दर्द हो रहा है। घटना 15 दिसम्बर की बताई जा रही है। उमेश बामने ने बताया कि टीचर यह भी बोलती है कि उसकी बेटी स्कूल नहीं जाती है, जबकि वह नियमित स्कूल जाती है। उसने शिकायत देरी से करने के पीछे कारण बताया कि चेतना की मां का निधन हो गया है और वह अकेले ही बेटी को पाल रहा है। इस कारण शिकायत करने में देरी हो गई है।

पूरे मामले की जांच के लिए गठित की गई टीम

जनसुनवाई के दौरान की गई शिकायत को डीपीसी संजीव श्रीवास्तव ने सुना और इसके बाद पूरे मामले की जांच के लिए टीम गठित की गई। श्रीवास्तव ने बताया कि स्कूल की टीचर पूर्णिमा साहू के खिलाफ इंग्लिश नहीं आने पर सजा देने के मामले में बाल खींचने और पिटाई करने का आरोप लगाया है। इसकी जांच की जा रही है और जो तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

टीचर ने पूरी बात को बताया निराधार

बालक प्राथमिक शाला खेड़लीबाजार की टीचर पूर्णिमा साहू ने बताया कि बच्ची का पिता सायको है और वो उन्हें परेशान करता है। कई बार धमकी भी दे चुका है। मेरे ऊपर जो आरोप लगाए गए हैं। वह पूरी तरह से निराधार हैं। नहीं पढऩे पर बच्चों के साथ डांट होती है, हो सकता है कि बच्ची को भी मैंने डांटा होगा। मुझे याद नहीं है लेकिन मारपीट और बाल उखाड़ने जैसी कोई घटना नहीं हुई जो आरोप लगाए जा रहे हैं।

बैतूल से वाजिद खान की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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