नए साल की खुशनुमा शुरुआत, बीमार बच्चों को उपहार बांट डॉक्टरों और स्टाफ ने मनाया नव वर्ष

Gaurav Sharma
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बैतूल, वाजिद खान। आम तौर पर नए साल का स्वागत लोग परिवार या दोस्तों के साथ जश्न और पार्टी से करते है, लेकिन मध्य प्रदेश के बैतूल के जिला अस्पताल में नए साल पर कुछ अनोखा नजारा देखने को मिला। बैतूल के जिला अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ ने शिशु वार्ड में भर्ती बच्चों को नए साल की शुभकामनाओं के साथ उन्हे उपहार दिए।

बीमार बच्चों को कंबल , फल, बिस्किट चॉकलेट और बलून्स, वितरित किये। बैतूल जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक बारंगा एवं ब्लड बैंक की रक्तकोष अधिकारी अंकिता शीते ने अपने स्टाफ के साथ जिला अस्पताल के शिशु वार्ड के बच्चों को खुशी बांटने के उद्देश्य से उनके बीच पहुंचकर बच्चों से और उनके परिजनों से हैैप्पी न्यू ईयर बोलकर माहौल को खुशनुमा कर दिया।

डॉक्टर और स्टाफ ने जिस तरह शिशु वार्ड के बच्चों के बीच नया साल मनाया उससे बच्चों के चेहरों पर तो मुस्कान आ ही गई। उनके परिजन भी खुश हो गए। साथ ही शिशु वार्ड को 10 कंबल भी वितरित किए गए जिससे भर्ती बच्चों को ठंड के मौसम में दिक्कत न हो।

आयोजन करने वाली रक्तकोष अधिकारी डॉ. सीते का कहना है कि मैं एक डॉक्टर हूं और मेरा काम है लोगो की सेवा करना और मैं एक ब्लड बैंक ऑफिसर हूं। मेरा सबसे ज्यादा रिश्ता है यहां छोटे-छोटे बच्चे जो सिकलसेल और थैलिसीमिया से पीडि़त है, के साथ ज्यादा रहता है। मैं कोशिश यही करती हूं कि अपना स्पेशल डे को और भी स्पेशल बना सकू ,इन लोगो के साथ सेलिब्रेट करके।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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