बैतूल, डेस्क रिपोर्ट। 29 जून 2021 की शाम को सारनी निवासी पर्यावरणविद आदिल खान, जो प्रमुखता से सांपों के संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। शाम को सूचना मिली कि सारनी के पास स्थित मोरडोंगरी गांव में खेत की जुताई करते समय एक अजगर का पेट कट गया है और उसकी आंतें बाहर आ गई है। जिसके बाद आदिल के माध्यम से सारनी रेंजर अमित साहू को इसकी सूचना दी गई। जिस पर रेंजर अमित साहू ने तत्परता दिखाते हुए वन विभाग से वन रक्षक करण सिंह मर्सकोले को आदिल के पास पहुंचाया। फिर अपने दो सहयोगी अपूर्व, अर्पित सिंह और वन विभाग के आरक्षक के साथ आदिल मोरडोंगरी गांव पहुंचे और वहां से अजगर का रेस्क्यू कर उसे सारनी लाए।
इसके बाद वेटरनरी डॉक्टर सीमा ठाकुर को आदिल ने इस संबंध में जानकारी दी और एसडीओ फॉरेस्ट सारनी विजय कुमार मौर्य को भी जानकारी दी गई। जिसके बाद वन विभाग ने गाड़ी उपलब्ध कराई और वन विभाग के साथ आदिल खान घोड़ाडोंगरी स्थित पशु चिकित्सालय पहुंचे। रात को लगभग 9:30 बजे घोड़ाडोंगरी पशु चिकित्सालय में 7 फीट लंबे अजगर का वेटरनरी डॉक्टर सीमा ठाकुर, डिस्पेंसरी अटेंडेड दशरथ गीत ने सांप का ऑपरेशन शुरू किया। जो रात को 11 बजे तक चला ।
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आदिल ने बताया कि लगभग डेढ़ घंटे तक वे अजगर को पकड़कर खड़े रहे और वन रक्षक करन सिंह मर्सकोले वह एक अन्य व्यक्ति भी अजगर को पकड़े हुए थे क्योंकि अजगर बहुत ताकतवर होता है। इसलिए उसे संभालने के लिए तीन लोग लगे। ऑपरेशन शुरू करते समय पहले जहां चोट लगी थी। वहां पर एनेस्थीसिया लगाया गया। इसके बाद सांप का आंतों का जो हिस्सा बाहर आ गया था उसकी सफाई की गई और उसे वापस सांप के शरीर में डाला गया।
सांप बार-बार गहरी सांसे ले रहा था। जिस वजह से कभी-कभी अंदर डाला हिस्सा बाहर आ रहा था। धीमे धीमे कर के सांप को अंदर और बाहर दोनों तरफ टांके लगाए गए और फिर उसकी सफाई करके ड्रेसिंग की गई। जिसके बाद सांप को वन विभाग, सर्प विशेषज्ञ आदिल खान और वेटरनरी डॉक्टर सीमा ठाकुर की निगरानी में रखा गया है। सांप के स्वस्थ होने पर उसे सतपुड़ा के घने जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।
वन विभाग और वेटरनरी विभाग से सांप के इलाज के लिए बहुत सहयोग मिला और तत्परता के साथ सब कुछ हुआ जिससे सांप की जान बच गई, यह गर्व की बात है कि सारनी जैसे छोटे शहर में भी अब वन्य प्राणियों के लिए बेहतर उपचार संभव हैं- आदिल खान, पर्यावरणविद सारनी
सात फीट लंबे अजगर की आंतें बाहर आ गई थी जिसे अंदर करके दो लेयर में लगभग बारह टांके लगाए गए । अजगर को अभी ऑब्जर्वेशन में रखा है स्वस्थ होने पर जंगल में छोड़ दिया जाएगा- सीमा ठाकुर, पशु चिकित्सक घोड़ाडोंगरी