बैतूल/वाजिद खान
बैतूल में एक साथ सौ से ज्यादा संख्या में कोबरा के बच्चे देखकर वहां लोगों की भीड़ जुट गई। लोगों ने अंधविश्वास में वहा पूजा पाठ शुरू कर दिया वहीं जब वन विभाग को मामले की खबर लगी तो अमले ने मौके पर पहुंचकर सांप के बच्चों को जंगल में छुड़वाया।
बिल में से निकले कोबरा के सौ से ज्यादा बच्चों को देख कर ग्रामीण इसे चमत्कार मानने लगे और और सांप के बच्चों को एक भगोने में रख उनकी पूजा करने लगे। जब वन विभाग को इसकी सूचना मिली तो शाम को ग्रामीणों से सांप के बच्चों को बरामद कर जंगल छुड़वा कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
हालांकि इलाके में आज तक इतने सांप एक साथ कभी नही देखे गए । किसान चिन्धु पाटनकर के घर के समीप जमीन से एक छेद (बिल) से निकले इन साँपो को एक भगोने में रख दिया। भले ही लोग साल भर सांप को देखते ही लाठी डंडे लेकर मारने दौड़ते हो लेकिन ग्रामीण मानते है कि सावन एक ऐसा महीना है जब सांपों को मारने की बजाय उनका दर्शन ईश्वर के दर्शन के समान पुण्यदायी माना जाता है। इस महीने में सांप को मारने की बजाय लोग उसे दूध और धान का लावा खिलाते हैं।
ग्रामीणों की मान्यता है कि सांपों को दूध और धान खिलाने से वंश बढ़ता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। सावन के महीने में बिलों में पानी भर जाता है और सांप सुरक्षित स्थानों की तलाश में लोगों के घरों में घुसने लगते हैं जिससे इन महीनों में सर्प दंश का खतरा बना रहता है। हालांकि सर्प विशेषज्ञ और जानकर बताते है कि कोबरा के बच्चे भी खतरनाक होते है ऐसे में इन्हें छेड़ना भी खतरनाक हो सकता है ।
मामले की जानकारी जब वन विभाग को मिली तो वन विभाग की टीम ने भोरु ढाना गांव पहुंचकर इन कोबरा सांप के बच्चों को बरामद कर उन्हें जंगल में छोड़ दिया है। ताप्ती रेंज के रेंजर विजय करण वर्मा का कहना है कि इस मामले की जांच की जाएगी अगर वन्य प्राणी प्रताड़ना का मामला सामने आएगा तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ।