कुत्ते के विवाद को लेकर महिला की पिटाई, पीड़िता का आरोप निर्वस्त्र कर दबंगो ने पीटा

बैतूल, वाजिद खान। जिले की एक आदिवासी महिला ने गांव के दबंगों पर कुत्ते को लेकर हुए विवाद को लेकर मारपीट का आरोप लगाया है। महिला का यह भी आरोप है कि मारपीट में उसके कपड़े फाड़ दिए जिससे वो निर्वस्त्र हो गई और उसके बाद भी उसकी पिटाई की गई जिसके बाद उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। पुलिस ने दोनों पक्ष पर काउंटर केस दर्ज किया है इसमें दूसरे पक्ष से एक सत्रह साल के नाबालिग सहित दो महिलाएं शामिल है। बैतूल के चिचोली तहसील के ग्राम चूड़िया में एक आदिवासी महिला गांव के दबंगों का शिकार बन गई, घटना 28 सितंबर की बताई जा रही है । कुत्ते को लेकर उपजा विवाद इतना बढ़ा कि दबंग परिवार ने मिलकर न ही आदिवासी महिला के साथ मारपीट की बल्कि उसे पीटते-पीटते बीच सड़क पर उसे निर्वस्त्र भी कर दिया गया। घायल महिला का उपचार जिला अस्पताल में किया जा रहा है तो वही पुलिस ने दोनो पक्षों पर काउंटर केस दर्ज कर घटना की जांच शुरू कर दी है। घटना के बाद पीड़ित परिवार पर समझौते का दबाव भी बनाया गया था ।

जिला अस्पताल में भर्ती पीड़ित महिला रेखा बाई ने बताया कि कुत्ते को लेकर गांव के ही  दबंग परिवार के सत्रह साल के नाबालिग से कुत्ते को मारने को लेकर कहा-सुनी हो गई थी और विवाद शांत भी हो चुका था। लेकिन गांव के दबंग परिवार के नाबालिग और महिलाओं द्वारा घर में घुसकर उसके साथ मारपीट की गई। यह ही नहीं उसे घर से निकालकर बीच सड़क पर लाया गया और उसके कपड़े तक फाड़ दिये गये। महिला का आरोप है कि दबंग परिवार के मुखिया ने परिवार सहित उड़ा देने की धमकी भी दी है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।