बैतूल। संपत्ति ऐसा नाम है जिसकी वजह से बड़े से बड़े रिश्तों में खटास आ जाती है। दौलत और जमीन के पीछे लोग अपना का कत्ल तक कर देते हैं। लेकिन बैतूल के एक युवक ने इमानदारी की मिसाल पेश की है। बचपन में हुई सगाई में दहेज में मिली दस एकड़ जमीन को इस युवक ने शादी नहीं होने के बाद भी वापस कर दिया। आज के दौर में ऐसी मिसालें कम ही देखने को मिलती है।
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर इस युवक की ईमानदारी का हर कोई कायल हो जाएगा। आज के दौर में जहां जमीन-जायदाद के लिए लोग अपनों का खून बहाने से भी पीछे नहीं हटते हैं। ऐसे में यहां के एक युवक ने ईमानदारी की मिसाल पेश कर दी है।
बैतूल शहर के मोतीवार्ड निवासी पीडब्ल्यूडी विभाग में कप्म्यूटर ऑपरेटर जितेन्द्र उर्फ जगदीश भारती ने बताया कि चार वर्ष की उम्र में घर के बुजुर्गों ने उनका विवाह ग्राम गजपुर निवासी गंगा यादव से तय किया था। उस समय गंगा के परिजनों ने सगाई में दस एकड़ जमीन की रजिस्ट्री जितेन्द्र के नाम की थी। बाद में जितेन्द्र और गंगा की शादी नहीं हो सकी। जिस समय लडक़ी के परिजन उसकी शादी करना चाहते थे उस समय जितेन्द्र पढ़ाई कर रहे थे। इसलिए उसने शादी करने से इंकार कर दिया।
जितेन्द्र के शादी के इंकार के बाद गंगा के परिजनों ने उसकी शादी अन्य जगह पर कर दी और बाद में जितेन्द्र की शादी भी किसी दूसरी लडक़ी से हो गई। लेकिन उस 10 एकड़ जमीन को लेकर दोनों ही परिवारों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। इस घटना के 45 साल बाद जितेन्द्र ने गंगा के भाई को पूरी जमीन के कागजात सौंप दिए। जितेन्द्र ने बताया कि रजिस्ट्री कार्यालय में सोमवार को दोनों पक्ष उपस्थित हुए थे। गंगा के भाई को जमीन का दान पत्र सौंप दिया। बचपन में हुई सगाई में मिली जमीन की कीमत आज की दर से तय की जाए तो करीब 50 लाख रुपए से भी ज्यादा है।