भिंड, सचिन शर्मा। भिंड जिले (Bhind District) में आधा दर्जन पुलिस आरक्षकों (Police Constables) को अपने अधिकारियों को गुमराह करना महंगा पड़ गया। जिसके बाद भिंड पुलिस अधीक्षक द्वारा सभी को निलंबित कर दिया गया। दरअसल, आरोपी आरक्षकों द्वारा जुआ (Gambling) खेल रहे आरोपियों पर कार्रवाई की थी। जिसमें जुए की जब्त की गई राशि को आरक्षकों द्वारा गबन कर लिया गया था। जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने तत्काल प्रभाव से सभी 6 आरोपी आरक्षकों को निलंबित किए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं विभागीय कार्रवाई की बात भी कही है माना जा रहा है कि सभी भ्रष्टाचारी आरक्षकों पर जल्दी बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है।
दरअसल पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह के मुताबिक 29 सितंबर को डीएसपी हेडक्वॉर्टर को मुखबिर के ज़रिए बरोही थाना क्षेत्र के लावन गाँव में एक बड़ा जुआ फड़ संचालित होने की सूचना मिली थी। जिस पर डीएसपी हेडक्वार्टर अरविंद शाह ने जानकारी की तस्दीक़ और योजना बनाकर दबिश देने के लिए रणनीति बनायी थी। इस कार्रवाई को अंजाम देने के लिए बनायी गयी टीम में डीएसपी हेडक्वार्टर ने पुलिस लाइन से आरक्षक लोकेश जाट, आरक्षक कृष्णवीर जाट, बादाम सिंह, शैलेश सिंह, रवि कुमार, अश्विनी कुमार को भारौली पुलिस थाने पहुँचने के लिए निर्देशित किया गया था।
ऐसे किया गुमराह
तय योजना के मुताबिक डीएसपी शाह भारौली पहुँचे लेकिन काफ़ी समय तक आरक्षक लोकेश और उसके पांच साथी आरक्षक नही पहुँचे। जिस पर उनसे फ़ोन पर संपर्क किया गया तो आरोपी आरक्षकों द्वारा बताया की वे लावन गाँव गए थे और भारौली पहुँच रहे हैं। उन्होंने सूचना दी कि जुआ फड़ पर दबिश दी लेकिन सभी जुआरी मौक़े से भाग निकले। कुछ देर बाद जब आरक्षक लोकेश जाट कृष्णवीर जाट, रवि कुमार, बादाम सिंह, शैलेंद्र सिंह और अश्विनी कुमार भारौली थाना पहुँचे तो डीएसपी द्वारा उनसे पूछताछ की गयी, जिस पर इन आरक्षकों द्वारा डीएसपी हेडक्वार्टर को दोबारा गुमराह करने का प्रयास किया गया।
तलाशी लेने पर हुआ खुलासा
भिंड एसपी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इन आरक्षकों की तलाशी लिए जाने पर इनसे 2 लाख 3 हज़ार 600 रुपय बरामद हुए। जिन्हें विधिवत जब्त किया गया। साथ ही इस कृत्य के लिए सभी आरक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी विभागीय कार्रवाई की जा रही है। भिंड एसपी मनोज कुमार सिंह के इन शब्दों के बाद अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि विभागीय जाँच के बाद आरक्षकों पर बर्खास्त किए जाने की कार्रवाई हो सकती है।