भिंड, सचिन शर्मा। कोरोना कॉल के दौरान लगभग एक माह पहले कोरोना संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा सभी स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए गए। बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए अपना घर अपना विद्यालय की प्रक्रिया से पढ़ाई जारी रखी गई। फिर एक फरवरी से 50% क्षमता से विधालय पुनः संचालित करने के आदेश जारी कर दिये गये हैं। लेकिन लगता है सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों का पेट छुट्टियों से अभी नहीं भरा है। इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला शासकीय प्राथमिक विद्यालय उमरेला ब्लॉक रौन जिला भिंड में।
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यहां पदस्थ रामेश्वर दयाल दौहरे और श्रीमती पूनम मल्होत्रा द्वारा करीब 11:25 पर विद्यालय खोला गया। क्षैत्र के वरिष्ठ समाज सेवी और पत्रकार द्वारा पदस्थ शिक्षक से देरी का कारण पूछे जाने पर उन्हें जेल भेज देने की धमकी दी गई।
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विधालय में पदस्थ रामेश्वर दयाल दौहरे द्वारा वरिष्ठ समाज सेवी और पत्रकार को कवरेज करने व सवाल पूछने पर गंदी- गंदी गालियाँ देकर बडी ही दबंगई से जाति सूचक गालियाँ देते हुए हरिजन एक्ट लगाने की धमकी तक दी गई। भिंड जिले में पदस्थ ज्यादातर शिक्षकों का यही हाल है। वह महिने में एक दो दिन ही विद्यालय में आते हैं और यदि खुशकिस्मती से पदस्थ शिक्षकों को बीहड़ या दूरदराज का विधालय मिल जाये तो पदस्थ शिक्षक आपस में समझौता कर एक दिन छोड़ कर या एक दूसरे से रायशुमारी कर सभी नियम कानून को ताख पर रखकर विद्यालय का संचालन कर रहें है।
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अभी हाल में ही भिंड जिले के जिला शिक्षा अधिकारी ने एक अन्य शिक्षक को विद्यालय में अभ्रदता व कार्य में उदासीनता के चलते निलंबित कर दिया था। मगर लगता है जिले में दंबगई से नौकरी कर रहे उदासीन शिक्षकों को भिंड जिले के जिला शिक्षा अधिकारी का भय नहीं रहा, क्योंकि नौकरी वह अपनी मन मर्जी से कर रहे हैं ।
ऐसे में विद्यार्थियों का क्या भविष्य होगा यह तो राम ही जाने। दबंग शिक्षक शिक्षिकाओं पर कार्यवाही न किए जाना विभागीय अधिकारियों पर भी प्रश्न खड़े कर रहा है।