भिण्ड, गणेश भारद्वाज। पुलिस के सामने कभी कभी ऐसे मामले आते हैं, जब बात डंडे या गोली से नही बनती। बात बनती है तो बोली से। कुछ ऐसा ही मामला भिंड में सामने आया जब सिंध नदी में तेज बाढ़ आई और इसमें सब कुछ तबाह हो गया। इसी दौरान भारौली कलां के एक किसान राहुल सिंह कुशवाह की भैंस भी बाढ़ में बह गई। किसान बेचारा भैंस को खोजता रहा। एक दिन उसके कुछ साथियों ने सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में भैंस को लेकर झगड़ा होते हुए देखा और उस वीडियो को देखकर पहचान हुई कि यह भैंस तो राहुल सिंह की है।
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किसानों ने राहुल को बताया कि तुम्हारी भैंस इस तरह से बिछोली गांव में देखी गई है। राहुल लगभग 70-75 हजार की अपनी भैंस को लेने बिछोली गांव पहुंचा तो वहां बहादुरपुरा के सरपंच ने भैंस देने से इनकार कर दिया। जब भैंस मालिक राहुल सिंह ने ज्यादा गुजारिश की तो सरपंच साहब 35 हजार रुपये के बदले में भैंस देने के लिए राजी हुए। राहुल अपनी ही भैंस के 35000 देने को राजी नहीं थे तो उन्होंने पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह से इस बात की शिकायत की।
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राहुल के मुताबिक एसपी मनोज कुमार सिंह ने जब सरपंच विक्रम सिंह से बात की तो विक्रम सिंह ने अपनी हेकड़ी दिखाते हुए एसपी को भी मना कर दिया कि मैं भैंस किसी कीमत पर नहीं दूंगा, चाहे बेशक आप एफआईआर करवा दो। सरपंच ने नेतागिरी भी करवाई और एक उच्च स्तर के नेताजी से पुलिस को फोन भी लगवाया। लेकिन पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने जब अपना पुलिसिया अंदाज सरपंच साहब को दिखाया और सरपंच साहब को हैंडल करने की जिम्मेदारी रौन थाना प्रभारी उदय भान सिंह यादव को दी। थाना प्रभारी ने अपने रौबदार लहज़े से ही सरपंच साहब के तेवर ढीले कर दिए जिसके बाद सरपंच भैंस उसके मालिक राहुल सिंह को देने राजी हो गए।
इसके बाद राहुल सिंह कुशवाह पुलिस अधीक्षक की जय जयकार लगाते हुए अपनी भैंस अपने गांव लेकर आ गए और वह अब खुश हैं। किसान राहुल का कहना है कि हम तो आस छोड़ चुके थे कि भैंस मिलेगी लेकिन पुलिस अधीक्षक महोदय ने जिस प्रकार से मदद की है वह मेरे लिए किसी खजाने से कम नहीं है। जिस प्रकार की सक्रियता पुलिस अधीक्षक महोदय और रौन पुलिस ने दिखाई है वह मेरे जैसे किसान के लिए बहुत बड़ी बात है।
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गौरतलब है कि सिंध नदी में जो बाढ़ आई उसने एक दो नहीं बल्कि दर्जनों गांवों के किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। न केवल किसानों के कच्चे मकान बल्कि पक्के मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे में जब किसानों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, सैकड़ों की संख्या में पशु मरे हैं और बह गए हैं, तब किसी किसान का पशु अगर मिल जाए और उसके बदले में कोई फिरौती मांगे तो यह बहुत गलत है। आपदा में अवसर तलाशने का काम जो सरपंच साहब ने किया वह निहायत गलत था, ऐसे सरपंच के लिए जिला प्रशासन को चाहिए कि उसके मूल पद से उसे हटा कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना चाहिए। बता दें कि जिले में कई दबंग टाइप के लोग आज भी पशुओं और वाहनों की चोरी होने के बाद उसे वापस लौटाने के लिए फिरौती या पनीहाई का काम करते हैं।