बन्दूक की हर गोली पर नजर रखेगी पुलिस, कारतूस पर होगा QR कोड

qr code on arms in bhind

भिंड, गणेश भारद्वाज। बंदूक रिवॉल्वर पिस्टल रखने वाले लाइसेंस धारी अब सावधान हो जाएं। अब अगर आपने एक भी फायर फालतू में किया तो आपकी खैर नहीं। क्योंकि अब हर बुलेट पर होगा आपका नाम और पता। जी हां भिंड जिला पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह द्वारा नई पहल करते हुए बंदूकों में उपयोग होने वाले कारतूसों पर क्यूआर(QR) कोडिंग कराई जा रही है। इस यूनिक कोड पर लाइसेंस धारी का पूरा डाटा दर्ज होगा। स्केनर की मदद से बुलेट को स्कैन कर पता लगाया जा सकेगा यह बुलेट आखिर किसके पास था और किसकी बंदूक से चला है।

अब आप बुलेट को किसी और को बेच भी नहीं सकते, ना ही हर्ष फायर कर सकते हैं। कभी भी पुलिस आपसे इसका हिसाब मांग सकती है। मान लो अगर आपके पास बुलेट है और उन पर क्यूआर कोडिंग हो चुकी है तो मांगे जाने पर सभी क्यूआर कोड बुलेट का हिसाब आपको देना होगा। अगर आपके पास क्यूआर(QR) कोड वाले उतने बुलेट्स नहीं मिलते हैं तो माना जाएगा कि आपने उनका दुरुपयोग किया है। ऐसे में आपके ऊपर कार्रवाई भी हो सकती है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।