इस फैसले के पीछे विशेषज्ञों की सलाह और ड्राइवरों की चिंताएं अहम हैं। 19 जून 2025 से शुरू होने वाली री-डिजाइनिंग प्रक्रिया में इंजीनियरिंग टीम ब्रिज को और सुरक्षित बनाने के लिए नए सिरे से काम करेगी।
मध्य प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि अगस्त 2025 तक एक प्रोटोटाइप तैयार हो, जो मौजूदा डिजाइन की कमियों को दूर करे। इसके लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल होगा, जिसमें सेंसर-आधारित ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम जोड़ा जाएगा, जो ड्राइवरों को मोड़ पर अलर्ट करेगा। यह कदम भोपाल के ट्रैफिक मैनेजमेंट को बेहतर करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

90 डिग्री मोड़ का खतरा
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले तीन महीनों में अगर यह मोड़ वैसा ही रहा, तो 10% तक दुर्घटना की संभावना बढ़ सकती है, खासकर बारिश के मौसम में। यह खतरा इसलिए गंभीर है क्योंकि भोपाल में मानसून के दौरान भारी बारिश होती है, जो सड़कों पर विजिबिलिटी को कम कर देती है। ड्राइवरों की ओर से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि अचानक मोड़ के कारण वे कंट्रोल खो सकते हैं, खासकर रात के समय या कोहरे में। सरकार ने इस खतरे को गंभीरता से लिया और तुरंत कार्रवाई की घोषणा की, ताकि भविष्य में किसी बड़े हादसे से बचा जा सके।
विशेषज्ञों की सलाह और सरकार का कदम
18 जून 2025 को आयोजित एक मीटिंग में विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि नया डिजाइन हल्के और मजबूत मटीरियल से बनेगा, जो मौसम के बदलाव को भी झेल सके। सरकार ने इसके लिए ₹5 करोड़ का अतिरिक्त फंड मंजूर किया है। इस प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए एक खास टास्क फोर्स बनाई गई है, जिसमें सिविल इंजीनियरिंग के टॉप एक्सपर्ट्स शामिल हैं। यह टीम यह सुनिश्चित करेगी कि नया डिजाइन न सिर्फ सुरक्षित हो, बल्कि शहर के बढ़ते ट्रैफिक को भी संभाल सके। सरकार का इरादा है कि यह बदलाव भोपाल को एक मॉडर्न इन्फ्रास्ट्रक्चर हब के रूप में स्थापित करने में मदद करे।