MP के 23 जिलों में 100 दिवसीय नि-क्षय शिविर अभियान, सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा टीबी लाइलाज बीमारी नहीं, ख़त्म करने का संकल्प लें

हम सब मिलकर टीबी से प्रभावित व्यक्तियों को इस रोग से मुक्त कराने का प्रयास करें। सबके प्रयासों से देश को टीबी मुक्त कर, प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को साकार करने में निश्चित ही सफलता मिलेगी।

Atul Saxena
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Bhopal News : क्षय रोग यानि टीबी रोग से जुड़ी भ्रामक बातें बी पीते ज़माने की बाते ही गई है, टीबी के मरीज को दूसरों से अलग रखने का दौर अब ख़त्म हो गया है कि क्योंकि अब सब जानते हैं कि टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है, प्रधानमंत्री मोदी ने भी भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है जिसमें मध्य प्रदेश भी अपनी सहभागिता निभा रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2018 में देश को टीबी (क्षय रोग) से मुक्त कराने का संकल्प लिया था। लोगों की जिंदगी बचाने के प्रधानमंत्री मोदी के इस अभियान में सहभागिता कर हम सब उनके साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं।

इन 23 जिलों में चल रहा नि-क्षय शिविर अभियान

मुख्यमंत्री ने बताया, देश को टीबी मुक्त करने के लिए, देश के 347 जिलों में 100 दिवसीय नि-क्षय शिविर अभियान चलाया जा रहा है। इनमें मध्य प्रदेश के 23 जिले अलीराजपुर, अनूपपुर, बैतूल, छतरपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, दतिया, डिंडोरी, जबलपुर, कटनी, खंडवा, मंडला, मंदसौर, नरसिंहपुर, नीमच, रतलाम, सीहोर, सिवनी, श्योपुर, सीधी, सिंगरौली, उज्जैन और विदिशा शामिल हैं।

अभियान में प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति एक कार्यकर्ता है

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि सभी की सक्रिय सहभागिता से कोई भी प्रभावित व्यक्ति टीबी की जांच और इलाज से वंचित नहीं रहेगा। टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, टीबी का इलाज होता है, टीबी से डरने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब सक्रियता के साथ इस अभियान में भागीदारी करें। हमारे आसपास कोई भी टीबी की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति हो तो उसे इस अभियान का हिस्सा अवश्य बनाएं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लोगों का जीवन बचाने के लिए आरंभ, इस अभियान में प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति एक कार्यकर्ता है। हम सब मिलकर टीबी से प्रभावित व्यक्तियों को इस रोग से मुक्त कराने का प्रयास करें। सबके प्रयासों से देश को टीबी मुक्त कर, प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को साकार करने में निश्चित ही सफलता मिलेगी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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