भोपाल। प्रदेश सरकार स्कूल शिक्षा में सुधार लाने के लिए केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर स्कूलों का एकीकरण करने जा रही है। जिसके तहत एक ही स्कूल परिसर में पहली से बाहरवीं तक की शिक्षा मिलेगी। इसके लिए एक परिसर एक शाला के रूप में स्कूलों का चयन किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश में 16 हजार से ज्यादा स्कूलों को केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर तैयार किया जा चुका है। इनमें 35 हजार स्कूलों को शामिल किया गया है।
स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने बताया कि एक परिसर की सभी शालाएँ एक यूनिट की तरह संचालित की जा रही हैं। इससे एक ही परिसर में कक्षावार एवं विषयवार शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को दृष्टिगत रखते हुए गुणवत्ता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि अब पांचवी और आठवीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर होगी। खास बात यह है कि परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों के लिए 2 माह बाद पुन: परीक्षा ली जाएगी। शिक्षा विभाग ने तीस प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों की दक्षता का आकलन करने के लिए परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें 6 हजार से ज्यादा शिक्षकों को शामिल किया गया। शिक्षकों की दक्षता सुधार के लिए प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया। जिन शिक्षकों के परीक्षा परिणाम अच्छे नहीं रहे, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई।
दिल्ली से लेकर कोरिया की प्रणाली देखी
प्रदेश में शिक्षा की बदहाल व्यवस्था सुधारने के लिए विभागीय अधिकारियों, प्राचार्यों एवं शिक्षकों को स्थानीय निजी स्कूलों, दिल्ली, नोएडा एवं दक्षिण कोरिया के स्कूलों का भ्रमण कराया गया। ताकि प्रदेश में गुणवत्ता सुधार के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रणाली को लागू किया जा सके।
2022 तक लागू होगा एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम
विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने योग्य बनाने के उद्देश्य से प्रदेश में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया गया है। सत्र 2019-20 में कक्षा 6वीं से 10वीं तक सामाजिक विज्ञान और कक्षा 11वीं में कला संकाय की एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। वर्ष 2021-22 तक क्रमिक चरणों में सभी विद्यालयों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी विषयों में यह पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा।