27% OBC reservation case: मध्य प्रदेश के विभिन्न विभागों की भर्तियों में ओबीसी आरक्षण से जुड़े सभी मामले एमपी हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किये जा चुके हैं जिनपर जनवरी 2025 में सुनवाई होना तय हुआ है लेकिन पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में इसे लेकर अजीब स्थित बनी है जिसे लेकर अभ्यर्थियों के बीच भ्रम पैदा हो रहा है, कुछ अभ्यर्थियों ने इस भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए कुछ जानकारी साझा की है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मुद्दा 2018 से चल रहा है। जिसके कारण स्कूल शिक्षा विभाग, एमपीपीएससी, जनजाति कार्य विभाग, पुलिस कांस्टेबल, स्वास्थ्य विभाग के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी आदि अन्य विभागों ने 87-13 का नियम लागू करके नियुक्ति आदेश जारी किए है जिसमें 13% पद होल्ड रखे गए हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग ने की कोर्ट की अवमानना
शिक्षक भर्ती 2018 की अभ्यर्थी रक्षा जैन और रचना व्यास ने बताया याचिका क्रमांक 5901/2019 से याचिकाएं जुड़ी है जिसमें कोर्ट के आदेश के मुताबिक नियुक्ति देने की बात कही गई है और स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी कीमत पर ओबीसी वर्ग को 14% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट के आदेश के बावजूद स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षक भर्ती 2018 में 12 विषयों में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को 14% से अधिक पदों पर नियुक्ति दी इसके अलावा 29/09/2022 को जारी विज्ञापन में योग्यता अवधि बढ़ाते हुए उच्च माध्यमिक शिक्षकों के समस्त 16 विषयों में तथा माध्यमिक शिक्षकों के सभी 6 विषयों में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत से नियुक्ति देते हुए कोर्ट की अवमानना की।
विभाग ने योग्य अभ्यर्थियों के साथ छल किया
शिक्षा विभाग ने इसे फ्रेश विज्ञप्ति बताकर अभ्यर्थियों के साथ धोखा किया जबकि यह 2018 शिक्षक भर्ती का ही एक हिस्सा था अलग से कोई परीक्षा आयोजित नहीं की गई यह 13% किसी एक वर्ग विशेष के ना होकर सभी वर्ग के थे अर्थात अनारक्षित वर्ग के, जिन पर योग्य एसटी-एससी वर्ग के अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति मिल सकती थी लेकिन विभाग ने इन योग्य अभ्यर्थियों के साथ कहीं ना कहीं छल किया।
कोर्ट में याचिकाएं विचाराधीन, 13% पदों पर स्टे है
उधर कई विभागों में 2018 के बाद आई भर्तियों पर 13% पदों पर संबंधित अभ्यर्थियों द्वारा याचिकाएं लगाई गई है जिनका निराकरण आज दिनांक तक नहीं हुआ हैं जिसमें प्रमुख याचिका क्रमांक 5901/2019 है। जिसमें कई याचिकाएं जैसे- 24919, 25916, 3757, 18105, 4316 लिंक है। इनके माध्यम से कई विभागों में 13% पदों पर संबंधित विभाग के अभ्यर्थियों ने स्टे ले रखा है।
याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ली, बन गई भ्रम की स्थिति
इसी बीच कुछ समय पूर्व ग्रुप तीन की भर्ती पर उज्जैन के याचिकाकर्ता द्वारा याचिका क्रमांक 6036/2023 वापस लेने पर इस तरह से दिखाया गया था कि कोर्ट ने ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण का रास्ता खोल दिया है जिसके संबंध में विभाग द्वारा लेटर भी जारी कर दिए गए थे, और अब कुछ ऐसा ही पिछले दो-तीन दिनों से देखने को मिल रहा है। याचिका क्रमांक 25558/2021 उसके याचिकाकर्ता द्वारा इसे वापस ली गई है परंतु यह संदेश दिया जा रहा है कि 13% होल्ड पदों पर से स्टे हट गया है और नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में याचिकाओं पर सुनवाई
अभ्यर्थियों की तरफ से कहा गया है कि ऐसा नहीं है यहां याचिकाकर्ता द्वारा सिर्फ और सिर्फ अपनी याचिका वापस ली गई है ना कि कोर्ट ने कोई निर्णय दिया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की याचिका क्रमांक 5901/2019 तथा उससे संबंधित याचिकाओं का कोर्ट द्वारा निर्णय आने पर ही स्थिति स्पष्ट होगी। जिन पर सुनवाई जनवरी 2025 में होना है।
अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट से लगा रहे गुहार
सबसे बड़ी बात ये है कि गलत फैसले लिए जाने के कारण पहले ही कई सारी भर्तियां और उससे जुड़े अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। कई अभ्यर्थी अपनी आयुसीमा को भी पार कर चुके हैं, उन्हें उनका भविष्य बर्बाद होता दिखाई दे रहा है और सरकार और सरकारी अफसरों का उदासीन रवैया उन्हें और परेशान कर रहा है। वे सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगा रहे हैं कि वे जल्दी इस मामले पर सुनवाई कर हमारा भविष्य बर्बाद होने से बचा लें।