भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश के आरक्षित वनों में ईको पर्यटन (Eco tourism) की संभावनाओं वाले वन क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें मनोरंजन और वन्य-प्राणी अनुभव क्षेत्र के रूप में विकसित कराया जा रहा है। इस तरह के 29 ईको पर्यटन स्थलों पर ईको पर्यटन गतिविधियों के संचालन, प्रबंधन एवं रख-रखाव के मकसद से निजी हाथों में सौंपा जाएगा। इसके तहत चयन के लिए निविदा जारी की जायेगी।
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ईको पर्यटन विकास बोर्ड के सी.ई.ओ. सत्यानंद ने बताया कि ईको पर्यटन के लिए 29 स्थलों को संचालन, प्रबंधन और रख रखाव के लिए निजी संस्थानों को 10 साल की अवधि के लिए प्राइवेट सेक्टर को दिया जाएगा। इन क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाएँ विकसित कराई जाएंगी ताकि ईको पर्यटन में विकास के नए आयाम गढ़े जा सकें। ईको पर्यटन गतिविधियों के संचालन से ऐसे वन क्षेत्रों के समीप रहने वाले वनवासियों को अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। इस व्यवस्था के पूर्ण होने पर पर्यटकों को प्रकृति के समीप जाकर उसके विभिन्न घटकों और इन घटकों के बीच परस्पर क्रियाओं को समझने का अवसर भी मिलेगा।
ईको पर्यटन के लिए बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के पास स्थित पनपथा और पेंच टाईगर रिजर्व के पास स्थित दुधिया तालाब और बाइसन हाइवे रिट्रीट की सभी कार्रवाई पूरी होने के बाद एजेन्सी का चयन किया जा चुका है। शेष स्थलों की निविदा जारी करने की शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। इनमें भोपाल वन मंडल में रामगढ़, केरवा, समर्धा, बगोनिया, सीहोर में कठौतिया, डिगम्बर जल प्रपात, अमरगढ़ जल प्रपात, खण्डवा में धारि कोटला, बोरिया माल, गुंजारी, दक्षिण सिवनी वन मंडल में अमोंदागढ़, अम्मामाई, शारदा मंदिर पहाड़ी, महादेव गुफा और फरीद बाबा, लामाजोती तालाब, जंगल काटेज हिनौता, रायसेन में तितली पार्क, जिप लाईन खरबई, सतधारा जंगल केम्प, कूनो पालपुर में सेसईपुरा, पश्चिम मण्डला में रत्नाई पहाड़, गिदली घुघरा, बोकुर दाहर, डिन्डौरी में खुरखरी दादर, बड़वाह चिड़िया भड़क, दक्षिण बालाघाट में गांगुलपारा जलाशय, दक्षिण छिन्दवाड़ा में देवगढ़, टीकमगढ़ में नोटघाट, बुरहानपुर और दक्षिण बैतूल वन मण्डल के अंतर्गत झांझर डेम और सापना के गंतव्य स्थल शामिल हैं।