गेहूं उपार्जन पर अपडेट, MP सरकार के बोनस ने कराया किसानों का फायदा, जानें पिछले साल की तुलना में इस साल कितनी ज्यादा खरीद

आपको बता दें सरकार ने 5 मई तक गेहूं की खरीद की, लेकिन जो किसान पंजीकृत किसान 30 अप्रैल तक स्लॉट बुक नहीं करवा पाए उन्हें 5 मई को एक मौका और दिया गया और उनसे 9 मई तक गेहूं ख़रीदा गया। 

MP government wheat procurement: मध्य प्रदेश सरकार ने इस साल किसानों को गेहूं के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 175 रुपये का बोनस देकर किसानों के चेहरे पर ना सिर्फ ख़ुशी बिखेरी,  नतीजा ये हुआ कि पिछले साल की तुलना में इस साल करीब 29 लाख मीट्रिक टन अधिक गेहूं सरकार के भंडार में पहुंचा, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिला है

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा किसानों के हित में न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त 175 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की घोषणा के परिणामस्वरूप इस वर्ष लगभग 9 लाख किसानों से 77 लाख 74 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ है।

इस साल 29 लाख 36 हजार टन अधिक गेहूं की खरीद 

उन्होंने बताया कि गत वर्ष 48 लाख 38 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ था, जबकि इस साल 29 लाख 36 हजार टन अधिक गेहूं किसान सरकार के पास लेकर पहुंचें, मंत्री राजपूत ने किसानों के हित में मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा दिये गये बोनस पर उनका आभार व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि गेहूं के उपार्जन में इस समय मध्य प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है।

गेहूं का भण्डारण भी, किसानों को भुगतान भी 

खाद्य  मंत्री राजपूत ने बताया है कि किसानों से उपार्जित गेहूं में से 73 लाख 51 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहूं का सुरक्षित भण्डारण भी किया जा चुका है। किसानों को उपार्जित गेहूँ का भुगतान भी लगातार किया जा रहा है। अभी तक लगभग 17 हजार 870 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किसानों को किया जा चुका है।

2600 रुपये MSP पर सरकार ने खरीदा गेहूं  

उल्लेखनीय है कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये निर्धारित है और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस पर 175 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया गया है। इस तरह से गेहूं  की खरीदी 2600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की गयी।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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