मध्यप्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि वे कोरोना महामारी से निपटने में असफल होने और सिंधिया को लेकर गलतबयानी न करें| पूरा प्रदेश जानता है कि भाजपा ने किस तरह अलोकतांत्रिक तरीके से पैसे देकर विधायकों को खरीदकर कांग्रेस सरकार गिराई है| उन्होंने कहा कि शिवराज जवाब दें कि 23 मार्च को शपथ लेने के बाद ही 24 मार्च को उनके नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा क्यों की। इसके साथ ही वे कांग्रेस सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे तुलसी सिलावट से पूछें जिन्हें भाजपा ने 20 दिन तक बेंगलोर में बंधक बनाकर रखा जिनपर कोरोना से रोकथाम की जिम्मेदारी थी और जिन्हें सौदेबाजी के तहत मंत्रीमंडल में मंत्री बनाया गया है। असलियत यह है कि मध्यप्रदेश में सरकार बनानें के चक्कर में पूरे देश को भाजपा ने कोरोना महामारी की ओर धकेल दिया।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि 12 फरवरी को राहुल गांधी ने कोरोना को लेकर चेताया था। सात मार्च को सोनिया गांधी ने देश के सभी कांग्रेस राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था कि कोरोना महामारी को लेकर सख्त कदम उठायें। ऐसे समय में देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ट्रंप की यात्रा से लेकर मध्यप्रदेश में सरकार गिराने के षड्यंत्र में मशगूल थे। शिवराज सिंह को इसका जवाब देना चाहिए। वहीं कमलनाथ सरकार की कोरोना को लेकर तैयारी पर उन्होने कहा कि मार्च माह में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने होली के सारे कार्यक्रम निरस्त किये। 13 मार्च को शापिंग मॉल, स्कूल कालेज और सिनेमाघर बंद करने के निर्देश दिए। यह निर्णय लेने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य था। विधानसभा सत्र स्थगित किया जिसकी भाजपा ने कोरोना नहीं डोरोना कहकर खिल्ली उड़ाई थी। 23 मार्च तक प्रदेश में मात्र 4 मामले कोरोना से संक्रमित होने के पाये गये। अजय सिंह ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान का यह चरित्र है कि वे अपनी असफलताओं को सदैव दूसरों पर डालकर अपनी जिम्मेदारियों से बचते रहे हैं। बीजेपी के आने के बाद मध्यप्रदेश देश के सबसे हाट स्पॉट प्रदेश पर पहुंच गया है। इस दौरान कोरोना की रोकथाम की बजाय ज्यादा समय तबादला उद्योग पर देते रहे।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया कि सरकार बचाना और चलाना तो हर पार्टी की जवाबदारी होती है। शिवराज इस बात का जवाब दें कि उनकी पार्टी विश्व की भीषणतम महामारी के दौरान सरकार गिराने में क्यों व्यस्त रही। क्योंकि उन्हें जनता की चिंता नहीं थी बल्कि वे खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए छटपटा रहे थे। 1 मार्च से लेकर 20 मार्च तक दिल्ली के आका और मध्यप्रदेश भाजपा सरकार गिराने में व्यस्त रही। भाजपा के विधायक कांग्रेस के 22 विधायकों को लेकर बेंगलोर के महंगे रिसोर्ट में रुके रहे। इस दौरान वहां रहे तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को दोषी ठहराना चाहिए जो शिवराज सिंह के मंत्रिमंडल के सदस्य बने हुए हैं जिन पर कोरोना से निपटने की अहम जिम्मेदारी थी।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने सिंधिया को लेकर शिवराजसिंह की गलत बयानी पर कहा कि सिंधिया को तो कांग्रेस ने ही बड़ा नेता बनाया है। उन्हें केन्द्रीय मंत्री बनाया, उत्तरप्रदेश जैसे राज्य का प्रभारी बनाया, कार्यसमिति का सदस्य भी बनाया। उनकी बातों को पार्टी के नेता हमेशा मानते रहे। शिवराज जवाब दें कि आज उनकी पार्टी में सिंधिया जी की क्या स्थिति है। जिस सौदेबाजी के साथ वे भाजपा में गए थे आज उस सौदे को पूरा कराने के लिए उन्हें भाजपा आलाकमान के दरवाजों पर भटकना पड़ रहा है।